हिन्दुस्तानी एकेडमी में महाकुम्भ, साहित्य व संस्कृति का समागम

प्रयागराज, 05 मार्च (हि.स.)। हिन्दुस्तानी एकेडमी के गांधी सभागार में ’नया परिमल’, हिन्दुस्तानी एकेडमी और हिन्दी विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित पांच दिवसीय ’साहित्य कुम्भ-2025’ के तीसरे दिन का कार्यक्रम डॉ. कन्हैया सिंह की स्मृति को समर्पित रहा। जिसमें मंचस्थ विद्वानों का स्वागत प्रो.अमरेन्द्र त्रिपाठी और डॉ.शिव कुमार यादव द्वारा पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्रम, और स्मृति चिन्ह देकर किया गया।

प्रथम सत्र का विषय ’महाकुम्भ प्रयागराज : साहित्य और संस्कृति का समागम’ था। जिसमें इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सहायक आचार्य डॉ. विजय रविदास ने महाकुम्भ का भारतीय लोकजीवन से गहरा सम्बंध बताते हुए जल प्रदूषण और भीड़ नियंत्रण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार रखे। उन्होंने नदियों के संरक्षण को विशेष रूप से रेखांकित किया।

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. प्रदीप सिंह ने अद्वैतवाद की चर्चा करते हुए भारतीय संस्कृति में सह-अस्तित्व और अभेद की चेतना पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कुम्भ हर प्रकार की अस्मिताओं को संगम की ओर खींचने का प्रतीक है और यह समन्वयवादी संस्कृति का अद्वितीय उदाहरण है। डॉ. सत्येन्द्र प्रताप ने तीर्थों के तीन प्रकार-स्थावर, जंगम, और मानस तीर्थ का उल्लेख करते हुए महाकुम्भ को सनातन परम्परा और लोक संस्कृति का उत्सव बताया।

अध्यक्षता करते हुए मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के प्रो. प्रमोद तिवारी ने लोगाें को नदियों और प्रकृति से जुड़ने का आग्रह किया। उन्होंने मातृत्व और तरलता की भूमिका पर बल देते हुए कहा कि तरलता बड़ी से बड़ी बाधाओं को पार कर सकती है।

द्वितीय सत्र का विषय ’डिजिटल युग और हिन्दी साहित्य’ था। इस सत्र में डॉ. सुदीप तिर्की ने डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से साहित्य के प्रसार और लेखकों-पाठकों के बीच की दूरी को कम करने की चर्चा की। डॉ. रंजीत सिंह ने साहित्य और संगीत को उलझे मन को सुलझाने वाला तत्व बताया। डॉ. अमितेश कुमार ने डिजिटलाइजेशन को एक माध्यम मानते हुए बताया कि सोशल मीडिया ने लेखकों और संपादकों के बीच की भूमिका को बदल दिया है।

अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रो.योगेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि डिजिटल साहित्य के भविष्य के बारे में अभी स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता। कार्यक्रम का संचालन और धन्यवाद ज्ञापन ’नया परिमल’ के सचिव विनम्रसेन सिंह द्वारा किया गया। इस अवसर पर हिन्दुस्तानी एकेडमी के सचिव डॉ. देवेन्द्र प्रताप सिंह, कोषाध्यक्ष दुर्गेश कुमार सिंह, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सहायक आचार्य डॉ.मीना कुमारी, डॉ.चितरंजन, डॉ.कृपा किंजाल्कम, शोधार्थी बालकरन सिंह, चन्द्रशेखर कुशवाहा, हर्षित उपाध्याय, सौरभ मिश्र, अनुभव दुबे, रुचि झा, मनीष यादव, सर्वेश सिंह, प्रियांशु मणि त्रिपाठी, आस्था त्रिपाठी एवं अन्य छात्र-छात्राओं के साथ हिन्दुस्तानी एकेडमी के सभी कर्मचारी उपस्थित रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र

   

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