सुरेंद्र कुमार सैनी के ग़ज़ल संग्रह 'अधूरा ही रहा मोहन' का हुआ लोकार्पण

हरिद्वार, 10 फरवरी (हि.स.)। साहित्यिक संस्था 'नवसृजन' के वार्षिकोत्सव पर रुड़की में नगर के वरिष्ठ साहित्यकार सुरेंद्र कुमार सैनी के गज़ल संग्रह 'अधूरा ही रहा मोहन' का लोकार्पण किया गया। अध्यक्षता नव सृजन के वरिष्ठ संरक्षक एवं साहित्यकार सुबोध पुंडीर 'सरित्' ने की। मुख्य अतिथि के रूप में संस्कृत शिक्षा उत्तराखंड के निदेशक डाॅ. आनंद भारद्वाज उपस्थित रहे।

नव सृजन साहित्यिक संस्था के महासचिव किसलय क्रांतिकारी ने बताया कि छ: वर्ष पूर्व वसंत पंचमी के दिन संस्था का गठन किया गया था। संस्था साहित्यिक गतिविधियों के साथ-साथ सामाजिक गतिविधियों में भी हिस्सेदारी निभा रही है। संस्था दो बार रक्तदान शिविर लगा चुकी है तथा पांच निर्धन कन्याओं की शादी में भी आर्थिक मदद दे चुकी है। संस्था द्वारा रुड़की के 43 कवियों का एक काव्य संग्रह प्रकाशित किया है।

डॉ. घनश्याम बादल ने कहा कि सुरेंद्र सैनी लगातार सृजनशील हैं तथा यह उनकी पांचवी पुस्तक है जो ग़ज़ल संग्रह के रूप में आज हमारे सामने है। इस ग़ज़ल संग्रह में विविध विषयों से संबंधित बहुत ही अच्छी ग़ज़लें प्रकाशित हुई हैं। इस अवसर पर नव सृजन संस्था द्वारा 'सृजन शिल्पी' सम्मान दिल्ली के शायर दीक्षित दनकौरी को दिया गया।

कार्यक्रम में गीतकार पंकज गर्ग, डॉ. घनश्याम बादल, सहारनपुर से आए कवि डॉ. विजेंद्र पाल शर्मा, कृष्ण सुकुमार तथा विनोद भृंग की कविताओं, ग़ज़लों एवं मुक्तकों का लोगों नेे आनंद लिया। इस अवसर पर कवि दीक्षित दनकौरी, संस्था अध्यक्ष डाॅ. शालिनी जोशी पंत, शायर कृष्ण सुकुमार, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल नारसन मौजूद रहे। संचालन नवोदित शायर पंकज त्यागी 'असीम' ने किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

   

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