माघी पूर्णिमा पर काशी विश्वनाथ की नगरी में नागा संतों ने कड़ी सुरक्षा में निकाली पेशवाई

नागा संतों की पेशवाईनागा संतों की पेशवाई

—जूना अखाड़े के संतों ने धार्मिक अनुष्ठान के बाद आराध्य देव को लगाया खिचड़ी का भोग, फिर भाला निशान लेकर पेशवाई में शामिल हुए

वाराणसी, 12 फरवरी (हि.स.)। माघ मास की पूर्णिमा तिथि (माघी पूर्णिमा)पर बुधवार को काशी पुराधिपति की नगरी में नागा संतों ने कड़ी सुरक्षा के बीच बैजनत्था स्थित जपेश्वर मठ से हनुमान घाट मठ तक पेशवाई निकाली। पेशवाई में शामिल जूना अखाड़े के रमता पंच से जुड़े सैकड़ों नागा संतों के स्वागत के लिए मार्ग में नागरिकों की कतार जुटी रही। लोग हर-हर महादेव के उद्घोष के बीच नागा संतों पर पुष्प वर्षा करते रहे।

पेशवाई में शामिल नागा संत शरीर पर चिता भस्म लगा कर अपनी जटाओं को लहराते हुए बैंडबाजा, डमरू, नगाड़ा आदि वाद्य यंत्रों की धुन पर भाला, तलवार, त्रिशूल, गदा से करतब दिखाते चले रहे थे। प्रयागराज महाकुंभ से नौ फरवरी को काशी आए नागा संतों ने जपेश्वर मठ में सुबह से ही विविध धार्मिक अनुष्ठान के बाद आराध्यदेव को खिचड़ी का भोग लगाया। सभी ने अखाड़े के संतों के साथ इसे ग्रहण किया। इसके बाद पेशवाई के लिए तैयार हुए। पेशवाई (शोभा यात्रा )कमच्छा, भेलूपुर, गौरीगंज, हरिश्चद्र घाट होते हुए हनुमान घाट स्थित जूना अखाड़े पर पहुंची। यहां उनका भव्य स्वागत किया गया।

गौरतलब हो कि पेशवाई में नागा संतों के आराध्य देव के विग्रह या तस्वीर वाला वाहन सबसे आगे चलता है। इसके बाद बैंड-बाजे, ढोल-नगाड़े और हाथी-घोड़े के रथ पर नागा अखाड़ों के बड़े संत, महामंडलेश्वर आदि विराजमान होते हैं। इसके बाद इसमें अनुयायी और शिष्य पैदल यात्रा करते हैं। पंक्ति में सबसे आगे नागा साधु अपने शरीर पर भभूत लगा पारम्परिक शस्त्रों का करतब दिखाते हुए चलते हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

   

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