सूर्य की किरणों से होता है भोलेनाथ का अभिषेक, वास्तु कला का बेजोड़ नमूना है हजारेश्वर महादेव मंदिर

चित्तौड़गढ़, 22 मार्च (हि.स.)। शहर के पावटा चौक स्थित हजारेश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग पर सूर्य की पहली किरणों से अभिषेक हुआ। वर्ष में दो मौके ऐसे भी आते हैं जब भगवान सूर्य की पहली किरणें शिवलिंग पर गिरती है और अभिषेक होता है। ऐसे में शनिवार को जब सूर्य की किरणों से अभिषेक हुआ तो मंदिर में विशेष अनुष्ठान देखने को मिला।

चित्तौड़गढ़ शहर में स्थित हजारेश्वर महादेव के महंत चंद्र भारती महाराज ने बताया कि वर्ष में दो बार ऐसे योग बनते हैं, जो कि सूर्य की पहली किरण भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करती है।

सूर्य की पहली किरण से मंदिर में भोलेनाथ का अभिषेक होना बहुत शुभ माना जाता है। उन्होंने बताया कि सनातन धर्म में सूर्य को ऊर्जा का स्रोत और ग्रहों का राजा माना जाता है। ऐसे में जब देवता अपनी पहली किरण से भगवान का अभिषेक करते हैं तो उसे आराधना में और देवत्व का भाव जाग जाता है।

वर्षों पहले वास्तु से हुआ मंदिर निर्माण

सूर्य की पहली किरण मंदिर के गर्भ गृह में स्थित शिवलिंग पर पड़ती है। मंदिर का वास्तु कुछ इस प्रकार है कि भोर की पहली किरण वेधशाला मंडप और गर्भगृह के छोटे से द्वार को चीरती हुई भगवान भोलेनाथ की शिवलिंग पर पड़ती है। जैसे सूर्य देव को देख कर साथ ही भोलेनाथ को प्रणाम कर जग में उजियारा फैलाने की इजाजत मांगते हो।

पुष्य नक्षत्र में हुआ था मंदिर का निर्माण

हजारेश्वर महादेव मंदिर के आचार्य श्रवण सामवेदी ने बताया कि गर्भगृह में विशाल शिवलिंग के दर्शन करने यहां महाशिवरात्रि पर बड़ी संख्य श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस मंदिर का निर्माण पुष्य नक्षत्र में किया गया था। इसलिए यह किंवदंती भी प्रचलित है कि मंदिर का निर्माण वास्तुकला के बेजोड़ नमूने को निर्मित करने वाले की आकृति भी मंदिर के शिखर के पास नजर आती है। भगवान शिव का यह मंदिर विख्यात है। इन्हें श्री हजारेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है।

एक ही शिवलिंग पर एक हजार शिवलिंग

श्रीमहंत चंद्रभारती महाराज ने बताया कि भगवान भाव के भूखे हैं। उनका अभिषेक कई तरह से होता है। जैसे शिवजी का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक होता है। उसी तरह कुछ मंदिरों का निर्माण इस तरह कराया जाता है कि किसी निश्चित तिथि या प्रतिदिन सूर्य की पहली किरण वहां स्थापित विग्रह पर सबसे पहले पड़े। ऐसा ही निर्माण हजारेश्वर महादेव मंदिर के लिए हुआ है। उन्होंने बताया कि यहां मंदिर में एक ही शिवलिंग पर एक हजार शिवलिंग बने हुए हैं। ऐसे में जल चढ़ाने पर एक साथ एक हजार शिवलिंग पर जल चढ़ता है और पूजा होती है।

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हिन्दुस्थान समाचार / अखिल

   

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