मोहनसराय गंगापुर मोड़ पर 19 फरवरी से किसानों का महाकुंभ

—चार दिवसीय किसान महाकुंभ में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर भाग लेने की अपील,प्राकृतिक चिकित्सा एवं आर्गेनिक खेती पर चर्चा होगी

वाराणसी,04 फरवरी(हि.स.)। पूर्वांचल के जिलों के किसानों को परम्परागत खेती के साथ प्राकृतिक चिकित्सा एवं आर्गेनिक खेती,पुरानी सोच में बदलाव आदि को लेकर चार दिवसीय किसान महाकुंभ का आयोजन होगा। 19 फरवरी से मोहनसराय गंगापुर मोड़ पर होने वाले इस महाकुंभ के लिए मंगलवार को वरिष्ठ सपा नेता और प्रदेश के पूर्व मंत्री सुरेन्द्र पटेल के आवास पर बैठक हुई। बैठक में तय हुआ कि 19 फरवरी से मराठा छत्रप राष्ट्रीयता के प्रतीक छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती से संगठित किसान आंदोलन के जनक स्वामी सहजानंद सरस्वती की जयंती 22 फरवरी तक यह कार्यक्रम होगा। मराठा सेवा संघ एवं स्वामी सहजानंद किसान सभा के संयुक्त तत्वावधान में मोहनसराय गंगापुर मोड़ पर जहां लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी और अखिलेश यादव की रैली हुई थी वहीं कार्यक्रम होगा। किसान महाकुंभ को सफल बनाने के लिए बिंदुवार वार्ता कर आयोजन समिति, संचालन समिति, प्रचार प्रसार समिति , मार्गदर्शक मण्डल एवं संरक्षक मण्डल का गठन हुआ। बैठक की अध्यक्षता करते हुए पूर्व मंत्री सुरेन्द्र सिंह पटेल ने कहा कि किसान हित में सृजनात्मक कार्य का दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सर्वदलों सहित सरकार को सहयोग करना चाहिए। वाराणसी में आयोजित किसान महाकुंभ पूर्वांचल के किसानों के लिएअत्यंत उपयोगी एवं कारगर होगा। आयोजन समिति के अध्यक्ष अविनाश काकड़े ने कहा कि किसान महाकुंभ के आयोजन का मुख्य उद्देश्य महाकुंभ के असली अर्थ को बतलाना है। अपने दोनों महापुरुषों सहित किसान नेताओं के गौरवशाली इतिहास, विचार सहित देश के प्रगतिशील किसानों के हूनर एवं व्यवसायिक कार्यशैली से पूर्वांचल के किसानों को रूबरू कराना है। इसमें परंपरागत खेती की मानसिकता से समय के अनुसार किसानों के पुरानी सोच में बदलाव लाने के लिए विविध सृजनात्मक कार्यक्रम होंगे। उन्होंने कहा कि कृषि प्रधान देश के रीढ़ किसानी के सर्वांगीण विकास के साथ साथ प्राकृतिक चिकित्सा एवं आर्गेनिक खेती के प्रति किसान को जागरूक भी किया जाएगा।

संचालन करते हुए कार्यक्रम संयोजक विनय शंकर राय मुन्ना ने कहा कि कृषि कार्य पूर्णतया ऋषि कार्य है। धरती का पालनहार अगहन के ठण्ड, जेठ की तपती धूप एवं भादों की बरसात में अपना प्राण हथेली पर लेकर कठिन तपस्या करता है। तब मंदिर में भगवान को भोग लगती है, मठ एवं मंदिरों में बैठे महन्त , संन्यासियों सहित नेताओं, उद्योगपतियों , इंसानों के साथ पशु-पक्षियों को भोजन मिलता है, जिससे सृष्टि चलती है, इसलिए कृषि कार्य से पुनीत कार्य धरती पर और कोई नहीं है। उसी अन्नदाता के उत्थान के लिए यह कार्यक्रम ​होगा। बैठक में विजय नारायण वर्मा, अमलेश पटेल, उदय प्रताप पटेल, गगन प्रकाश यादव, मोहम्मद अकरम, खटाई लाल शर्मा, सतीश पटेल आदि ने भागीदारी की।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

   

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