मेजर शैतानसिंह बलिदान दिवस : श्रद्धांजलि अर्पित कर मनाया शहीद दिवस

जोधपुर, 18 नवम्बर (हि.स.)। परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतानसिंह के 63वें बलिदान दिवस पर मंगलवार सुबह पावटा सर्किल पर श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर सेना सहित पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों, उनके परिजनों और शहरवासियों ने उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।

जिला सैनिक कल्याण अधिकारी जोधपुर कर्नल दलीपसिंह खंगारोत ने बताया कि 1962 के भारत-चीन युद्ध में शौर्य व वीरता का उत्कृष्ट प्रदर्शन कर देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह का 63वां बलिदान दिवस मंगलवार को पावटा स्थित परमवीर सर्किल स्थित मेजर शैतान सिंह की प्रतिमा के समक्ष राजकीय व सैन्य समारोह के रूप में आयोजित हुआ। इस अवसर पर उनकी प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। यहां उनकी प्रतिमा पर प्रति वर्ष उनके बलिदान दिवस पर सेना की तरफ से श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाता है। इस दौरान श्रद्धंाजलि समारोह में सेना के अधिकारी, गौरव सैनिक, पुलिस व जिला प्रशासन के अधिकारी, गणमान्य लोगों ने उन्हें श्रद्धंाजलि अर्पित की।

जोधपुर में जन्में , बहादुरी की मिसाल :

गौरतलब है कि जोधपुर जिले में जन्मे मेजर शैतान सिंह को वर्ष 1963 में मरणोपरांत परमवीर चक्र का सम्मान दिया गया। वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध में वतन के लिए संघर्ष करते हुए 18 नवंबर 1962 को देश के लिए शहीद हुए। भारत-चीन के बीच वर्ष 1962 में हुए युद्ध के दौरान चुशूल सेक्टर में रेजांग्ला चौकी पर तैनात भारतीय जवानों ने अपनी बहादुरी का एक अलग ही उदाहरण पेश किया था।

रेजांग्ला चौकी पर तैनात 120 भारतीय जवानों ने अपने सीमित हथियार व गोला-बारूद के साथ चीनी सेना का जमकर मुकाबला किया और सभी सैनिक युद्ध लड़ते हुए शहीद हो गए। इस युद्ध में भाग ले रहे सभी सैनिकों के शव तीन माह बाद बर्फ पिघलने पर मिले। सबसे बड़ी खासियत यह थी कि सभी शवों के हाथों में हथियार थे।

किसी जवान का हाथ बन्दूक के ट्रिगर पर तो किसी के हाथ में गोला। यही पर उनके सामने बर्फ में करीब एक हजार चीनी सैनिकों के शव दबे मिले। भारतीय टुकड़ी का नेतृत्व जोधपुर के जांबाज मेजर शैतानसिंह भाटी कर रहे थे।

हिन्दुस्थान समाचार / सतीश

   

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