देहरादून, 16 अक्टूबर (हि.स.)। फ़िल्म और संगीत के अध्येता निकोलस की ओर से बुधवार शाम काे दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के सभागार में मांगणियार संगीत पर एक वीडियो के जरिए व्याख्यान का आयाेजन किया गया। इस दौरान मांगणियार संगीत के विविध पक्षों पर संगीत के अलग-अलग बेहतरीन टुकड़ों को भी क्रमबद्ध रूप से दर्शकों के सम्मुख रखा गया।
इस माैके पर निकोलस ने राजस्थान की लोक संगीत परम्परा के बारे में विस्तार और चित्रों के माध्यम से लोगों को सजीव जानकारी दी। निकोलस ने मांगणियार संगीत के विविध पक्षों पर संगीत के अलग-अलग बेहतरीन टुकड़ों को भी क्रमबद्ध रूप से दर्शकों के सम्मुख रखा। निकोलस ने अपने व्याख्यान में कहा कि भारत में लोक संगीत की बहुत समृद्ध परंपरा रही है। अत्यधिक सांस्कृतिक विविधता लोक शैलियों की अनंत किस्मों का निर्माण करती है। प्रत्येक क्षेत्र की अपनी विशेष शैली होती है, राजस्थान की भीरू मांगनियार पेशेवर मुस्लिम लोक संगीतकार हैं जो पश्चिमी राजस्थान के जैसलमेर, बाड़मेर, जालोर के कुछ हिस्सों, बीकानेर और जोधपुर जिलों से हैं। उन्होंने कहा कि मांगणियार संगीत गायक महान सूफी संतों और भगवान कृष्ण दोनों की स्तुति गाते हैं। कई गीत रोपण और कटाई से जुड़े हैं। वे मध्य युग की धार्मिक और शूरवीर कला को यह आज तक कायम रखने का प्रयास करते आ रहे हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश कुमार