विवाह की सम्‍पूर्णता के लिए मेलापक अत्‍यावश्‍यक: प्रो. बिहारी लाल शर्मा

बीएचयू में त्रिदिवसीय अन्तर्राष्‍ट्रीय ज्‍योतिष सम्मेलन की हुई शुरुआत, देश-विदेश के दिग्गज ज्योतिषी जुटे

वाराणसी, 20 मार्च (हि.स.)। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के ज्‍योतिष विभाग, संस्कृत विद्या धर्मविज्ञान संकाय में त्रिदिवसीय अन्तर्राष्‍ट्रीय ज्‍योतिष सम्मेलन का उद्घाटन गुरूवार से हुआ। उद्घाटन सत्र में डॉ. कृष्ण मुरारी त्रिपाठी द्वारा वैदिक मंगलाचरण और विश्वविद्यालय के कुलगीत की सुंदर प्रस्तुति वसुधा दीक्षित एवं ममता कुमारी ने दी।

समारोह में मुख्य अतिथि, सम्‍पूर्णानन्‍द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि विवाह की सम्‍पूर्णता के लिए मेलापक अत्‍यावश्‍यक है। उन्होंने यह भी कहा कि पंचांग की सूक्ष्‍मता के लिए शास्‍त्र में वर्णित उपक्रमों का पालन जरूरी है।

विशिष्ट अतिथि ज्योतिर्विद प्रो. माधव प्रसाद पाण्डेय ने ज्‍योतिषशास्त्रीय विषयों पर सामाजिक दृष्टि से चिंतन की आवश्यकता को रेखांकित किया। रूस के विद्वान ईरीना पोजदीवा ने काशी की ज्ञानभूमि और गुरुभूमि के रूप में उसकी शाश्वतता को दर्शाया, और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को ज्‍योतिष ज्ञान के लिए सर्वोत्तम भूमि बताया।

पूर्व संकाय प्रमुख प्रो. चन्‍द्रमा पाण्‍डेय ने अपने उद्बोधन में मेलापक एवं पंचांग निर्माण से संबंधित सूक्ष्‍म बातों को उदाहरणों के माध्यम से समझाया। वहीं, ज्‍योतिषविद् प्रो. रामचन्‍द्र पाण्‍डेय ने मेलापक पर विस्तार से प्रकाश डाला और पंचांग निर्माण में सबीज-निर्बीज की अवधारणा पर शास्‍त्रोचित संशोधन का समर्थन किया।

इस अवसर पर ज्‍योतिष विभागाध्‍यक्ष प्रो. शत्रुघ्‍न त्रिपाठी ने सम्मेलन का विषय प्रवर्तन किया। इसके साथ ही प्रो. त्रिपाठी द्वारा संपादित ‘होरानवनीतम्’ और ज्‍योतिषशास्‍त्र में 'कृषिविज्ञान' नामक पुस्‍तकों का लोकार्पण भी किया गया।

सम्मेलन में प्रो. अरुण कुमार सिंह ने समाज में फैल रही भ्रांतियों को दूर करने पर बल दिया। सम्मेलन की अध्यक्षता संकाय प्रमुख प्रो. राजाराम शुक्‍ल ने की, जबकि सत्र का संचालन प्रो. विनय कुमार पाण्‍डेय ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सुभाष पाण्‍डेय ने दिया। इस अवसर पर कई प्रमुख विद्वान और विशेषज्ञ उपस्थित थे, जिनमें प्रो. चन्‍द्रमौली उपाध्‍याय, प्रो. श्रीकृष्‍ण त्रिपाठी, प्रो. मधुसूदन मिश्र और अन्य कई विद्वान शामिल थे।

—14 वक्‍ताओं ने अपने शोधपत्र पढ़े

सम्मेलन के पहले सत्र में अध्‍यक्ष प्रो. प्रेम कुमार शर्मा (दिल्‍ली), मुख्‍य अतिथि प्रो. अशोक थपलियाल (दिल्‍ली), और मुख्‍य वक्‍ता प्रो. अमित कुमार शुक्‍ल (सम्‍पूर्णानन्‍द संस्कृत विश्वविद्यालय) और सत्र संयोजक डॉ. सुशील कुमार गुप्‍ता रहे। इस सत्र में 14 वक्‍ताओं ने अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

   

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