मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज में प्रसूता की मौत: स्वास्थ्य विभाग ने एक कंपनी की सलाइन पर लगाया प्रतिबंध
- Admin Admin
- Jan 11, 2025
कोलकाता, 11 जनवरी (हि.स.)। मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज में एक प्रसूता की मौत के बाद सलाइन के गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए हैं। इस घटना के बाद स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने सख्त कदम उठाते हुए राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में एक विशेष कंपनी की सलाइन के उपयोग पर अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि इस कंपनी की सलाइन का सरकारी प्रयोगशाला में परीक्षण और जांच की जा रही है। जांच के परिणाम आने तक इस सलाइन के उपयोग पर रोक जारी रहेगी।
शुक्रवार को मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज में एक 25 वर्षीय प्रसूता, मामणि रुईदास की मौत हो गई थी। यह घटना ऑपरेशन के बाद पांच प्रसूताओं की तबीयत खराब होने के बाद हुई। मामणि को रिंगर्स लैक्टेट सलाइन दी गई थी, जिसके बाद सलाइन की गुणवत्ता को लेकर सवाल खड़े हुए।
इस घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग ने शनिवार को सभी सरकारी अस्पतालों को निर्देश दिया है कि वे उक्त कंपनी की सभी प्रकार की सलाइन का उपयोग बंद कर दें। इस सलाइन का नमूना ड्रग कंट्रोल की टीम द्वारा जांच के लिए भेजा गया है। साथ ही, मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज ने इस मामले की जांच के लिए एक मल्टी-डिसिप्लिनरी कमिटी का गठन किया है।
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राज्यभर में सलाइन हटाने का आदेश
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अन्य अस्पतालों में भी स्वास्थ्य विभाग के निर्देश के बाद 10 प्रकार की सलाइन को प्रतिबंधित कर दिया गया है। इनमें रिंगर्स लैक्टेट-500 एमएल, रिंगर्स सॉल्यूशन, डेक्सट्रोज इंजेक्शन, मैनिटॉल इन्फ्यूजन, पेरासिटामोल इन्फ्यूजन और अन्य सलाइन शामिल हैं।
स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम ने बताया कि नवंबर में कर्नाटक सरकार ने इस कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया था। इसके बाद राज्य सरकार ने भी इस कंपनी की 14 प्रकार की दवाओं और सलाइन के उपयोग पर रोक लगा दी थी। बावजूद इसके, सलाइन का सरकारी अस्पतालों में उपयोग कैसे हुआ, यह अब जांच का विषय है।
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अस्पतालों से सलाइन हटाई जा रही है
हावड़ा के उलुबेरिया अस्पताल और अन्य जगहों पर सलाइन को वार्ड से हटा दिया गया है। अधिकारियों ने बताया कि जिला स्वास्थ्य विभाग के निर्देश के बाद सलाइन हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
स्वास्थ्य विभाग ने घटना की गंभीरता को देखते हुए सलाइन की गुणवत्ता और सप्लाई चेन की जांच के लिए एक विशेष समिति बनाई है। साथ ही, राज्य के सभी अस्पतालों को निर्देश दिया गया है कि वे मरीजों की सुरक्षा को प्राथमिकता दें और संदिग्ध दवाओं और सलाइन का उपयोग न करें।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर