मिथिला कला उत्सव 2025 का मधुबनी में होगा आयोजन

पटना, 18 नवंबर (हि.स.)। कला और साहित्य की अग्रणी अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती के उत्तर बिहार प्रांत द्वारा मिथिला कला उत्सव 2025 का आयोजन किया जाएगा।

आगामी 14 दिसंबर 2025 को मधुबनी स्थित रीजनल सेकेंडरी स्कूल में इसका आयोजन होगा। इस कला उत्सव का विषय ‘कुटुंब प्रबोधन’ समृद्ध राष्ट्रक आधार अपन संयुक्त परिवार निर्धारित किया है, जो वर्तमान सामाजिक परिप्रेक्ष्य में अत्यंत सार्थक और समयानुकूल माना जा रहा है। इस आशय की विस्तृत जानकारी संस्कार भारती, उत्तर बिहार के प्रांतीय महामंत्री सुरभित दत्त द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी गई।

उन्होंने बताया कि संस्कार भारती उत्तर बिहार प्रांत द्वारा विगत वर्षों में क्रांतितीर्थ और पूर्णिया में मिथिला कला उत्सव के प्रथम संस्करण का सफल आयोजन किया गया था। इन आयोजनों में पारंपरिक कला, और सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण और संवर्धन को नई गति मिली थी। इन्हीं उपलब्धियों के क्रम को आगे बढ़ाते हुए इस वर्ष कला की भूमि मधुबनी में मिथिला कला उत्सव 2025 का आयोजन करने जा रही है। मधुबनी, जो स्वयं मिथिला चित्रकारी, संगीत, लोक-संस्कृति और शिल्पकला का प्राण-केन्द्र माना जाता है, इस उत्सव के आयोजन से एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक सरोकारों का केंद्र बनेगा।

उत्सव में मिथिला क्षेत्र के 150 से अधिक ख्यातिप्राप्त कला साधकों के जुटने की संभावना है। इसमें चित्रकला, लोकसंगीत, नृत्य, शिल्पकला, गायन, नाट्यकला, साहित्य ,सीकी कला, भू अलंकरण ,हस्तकला और अन्य विविध विधाओं से जुड़े कलाकारों की सहभागिता सुनिश्चित की जा रही है। इस उत्सव के माध्यम से मिथिला की पारंपरिक कला का भव्य प्रस्तुतीकरण होगा, साथ ही आधुनिक परिवेश में कला के नए आयाम और युवा कलाकारों के लिए अवसर भी उपलब्ध कराए जाएंगे।

मिथिला कला उत्सव 2025 के संयोजक एवं संस्कार भारती उत्तर बिहार प्रांत के सह महामंत्री धर्मेंद्र कुमार पाण्डेय ने कहा कि नर को नारायण बनाने वाली कला को लेकर संस्कार भारती हमेशा से समाज में सकारात्मक परिवर्तन का संकल्प निभाती रही है। उन्होंने कहा कि आधुनिक समाज में जहां पारिवारिक विघटन, संवादहीनता और विविध सामाजिक व्याधियाँ बढ़ रही हैं, वहीं कुटुंब प्रबोधन जैसे विषय पर आधारित यह उत्सव परिवार की एकता, संस्कार और संवाद के महत्व को पुनः स्थापित करने का सार्थक प्रयास होगा।

पाण्डेय ने बताया कि उत्सव से जुड़ी रूपरेखा और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियाँ जल्द ही सार्वजनिक की जाएंगी। आयोजन को सफल बनाने के लिए स्थानीय कलाकारों, सांस्कृतिक संस्थाओं, शिक्षण संस्थानों तथा समाज के विभिन्न वर्गों का सहयोग भी लिया जाएगा।

संस्कार भारती के इस आयोजन को न केवल एक सांस्कृतिक पर्व, बल्कि संयुक्त परिवार की सुदृढ़ व्यवस्था से समाज में मूल्यों के पुनर्स्थापन का एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुरभित दत्त

   

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