मोहिनी एकादशी गुरुवार को: शहर भर के मंदिरों में होगी विशेष पूजा -अर्चना

जयपुर, 7 मई (हि.स.)। वैशाख शुक्ल एकादशी आठ मई को मोहिनी एकादशी के रूप में भक्तिभाव से मनाई जाएगी। श्रद्धालु श्रीहरि भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना कर मंदिरों में दर्शन करेंगे। पूरे वर्ष में कुल 24 एकादशी व्रत रखे जाते हैं।

वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है, जिसका विशेष धार्मिक महत्व है। मोहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। इस दिन विशेष चीजों का दान भी जरूर करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि मोहिनी एकादशी के दिन दान करने से आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है और धन लाभ के योग बनते हैं, सुख-समृद्धि आती है।

ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा के अनुसार एकादशी तिथि का शुभारंभ 7 मई को सुबह 10:19 बजे होगा। समापन 8 मई को दोपहर 12:29 बजे होगा। इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार की पूजा की जाती है। उन्हें चंदन से तिलक लगाया जाता है। तुलसी तथा जौ अर्पित किए जाते हैं। माना जाता है कि भगवान विष्णु को पीला रंग अत्यंत प्रिय होता है, इसलिए इस दिन पीले वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता हैं। गायों को हरा चारा खिलाना पुण्यदायी माना गया है। पूजा के बाद अन्न, गुड़ और अपनी सामथ्र्य के अनुसार धन का दान करने की परंपरा भी है। इससे पुण्य मिलता है।

इन बातों रखें विशेष ध्यान: इस दिन कुछ बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। पूजा में तुलसी अवश्य अर्पित करें, लेकिन पौधे को स्पर्श न करें, न ही तोड़ें और न ही जल अर्पित करें। तामसिक भोजन जैसे मांस, लहसुन, प्याज और चावल का सेवन इस दिन वर्जित माना गया है।

पूजन की विधि: पीले वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु का स्मरण करें और पूजा करें। फिर ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। इसके बाद धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह चीजों के साथ पूजन करें। रात को दीपदान करें। पीले फूल और फल अर्पण करें। श्री हरि विष्णु से किसी प्रकार की गलती के लिए क्षमा मांगे। शाम को भी भगवान विष्णु की पूजा करें और रात में भजन-कीर्तन करते हुए जमीन पर विश्राम करें। फिर अगले दिन सुबह उठकर स्नान आदि करें। इसके बाद ब्राह्मणों को आमंत्रित करके भोजन कराएं और उन्हें सामथ्र्य अनुसार भेंट दें। इसके बाद व्रत का पारण करें।

मंदिरों में सजेगी विशेष झांकी

एकादशी का उत्सव विशेष रूप से गोविंद देवजी मंदिर में मनाया जाएगा। मंगला झांकी के बाद ठाकुरजी का पंचामृत अभिषेक कर लाल रंग की पोशाक धारण कराई जाएगी। गोचारण लीला के आभूषण धारण कराए जाएंगे। सागारी लड्डू और फलों का भोग लगाया जाएगा। गर्भगृह में शीतलता प्रदान करने के लिए झारा चलाया जाएगा। शाम को ठाकुरजी की फूल बंगला झांकी सजाई जाएगी। सुभाष चौक पानो का दरीबा स्थित श्री सरस निकुंज में शुक संप्रदाय पीठाधीश्वर अलबेली माधुरी शरण महाराज के सान्निध्य में ठाकुर राधा सरस बिहारी सरकार का पंचामृत अभिषेक कर पुष्पों से श्रृंगार किया जाएगा। चौड़ा रास्ता स्थित राधा दामोदर मंदिर, पुरानी बस्ती स्थित गोपीनाथ जी, रामगंज बाजार के लाड़लीजी मंदिर सहित अन्य वैष्णव मंदिरों में भी एकादशी उत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा।

मंदिरों में सजेगी विशेष झांकी

एकादशी का उत्सव विशेष रूप से गोविंद देवजी मंदिर में मनाया जाएगा। मंगला झांकी के बाद ठाकुरजी का पंचामृत अभिषेक कर लाल रंग की पोशाक धारण कराई जाएगी। गोचारण लीला के आभूषण धारण कराए जाएंगे। सागारी लड्डू और फलों का भोग लगाया जाएगा। गर्भगृह में शीतलता प्रदान करने के लिए झारा चलाया जाएगा। शाम को ठाकुरजी की फूल बंगला झांकी सजाई जाएगी। सुभाष चौक पानो का दरीबा स्थित श्री सरस निकुंज में शुक संप्रदाय पीठाधीश्वर अलबेली माधुरी शरण महाराज के सान्निध्य में ठाकुर राधा सरस बिहारी सरकार का पंचामृत अभिषेक कर पुष्पों से श्रृंगार किया जाएगा। चौड़ा रास्ता स्थित राधा दामोदर मंदिर, पुरानी बस्ती स्थित गोपीनाथ जी, रामगंज बाजार के लाड़लीजी मंदिर सहित अन्य वैष्णव मंदिरों में भी एकादशी उत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश

   

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