20 साल में सिर्फ तीन बार आदिवासी शब्द का इस्तेमाल किया कांग्रेस ने अभिभाषण में - सांसद रावत
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- Feb 04, 2025
उदयपुर, 4 फ़रवरी (हि.स.)। उदयपुर सांसद मन्नालाल रावत ने कांग्रेस पर तीखा प्रहार करते हुए उसे आदिवासी विरोधी करार दिया है। उन्होंने मंगलवार को संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान कहा कि कांग्रेस सरकार ने 1951 से 1970 के बीच बीस वर्षों में केवल तीन बार अपने अभिभाषण में आदिवासी शब्द का उल्लेख किया, जबकि वर्तमान सरकार के एक ही अभिभाषण में इसे दस बार शामिल किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने हमेशा जनजातीय समाज की उपेक्षा की और उनके विकास में बाधा पहुंचाई।
रावत ने कहा कि कांग्रेस सरकारों की गलत नीतियों के कारण गुलामी के कानून लंबे समय तक लागू रहे, जिससे जनजातीय समाज के खिलाफ कठोर कदम उठाए गए। इसके विपरीत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने न केवल जनजातीय उत्थान की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किए, बल्कि उनकी संस्कृति और विरासत के संरक्षण को भी प्राथमिकता दी।
राष्ट्रपति अभिभाषण का समर्थन करते हुए सांसद ने कहा कि इसमें गरीबों, किसानों, युवाओं, महिलाओं, वंचितों और आदिवासियों को संतुलित प्राथमिकता देने का उल्लेख किया गया है। सरकार ने धरती आबा जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान की शुरुआत की है, जिसके तहत अस्सी हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इस अभियान में सत्रह मंत्रालयों के माध्यम से पच्चीस से अधिक योजनाएं शामिल की गई हैं, जो जनजातीय समाज के विकास में मील का पत्थर साबित होंगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की सोच विकसित भारत 2047 में जनजातीय समाज की महत्वपूर्ण भागीदारी सुनिश्चित करेगी। इसके तहत पीएम जनमन योजना, एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल, राष्ट्रीय मिशन के तहत सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन योजना और भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर जनजातीय गौरव वर्ष जैसे कार्यक्रम शामिल हैं।
सांसद ने कहा कि विकसित भारत हमारा लक्ष्य है और इसके लिए रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म के सिद्धांत को अपनाया गया है। उन्होंने बजट में गरीबों के लिए समर्पित योजनाओं की सराहना करते हुए कहा कि केंद्र सरकार बारह लाख पचहत्तर हजार रुपये तक की आय को कर मुक्त करने और आठवां वेतन आयोग लागू करने जैसे निर्णयों से कर्मचारियों और उद्योगपतियों को भी प्रोत्साहित कर रही है, जिससे अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को एक महत्वपूर्ण पहल बताते हुए कहा कि इसमें जनजातीय बच्चों को मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा देने का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की दिशा में उठाए गए कदमों की भी सराहना की।
रावत ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद, जो जनजातीय क्षेत्रों के विकास में सबसे बड़ी बाधा था, अब अपने अंतिम चरण में है। एक समय जिन जिलों में नक्सलवाद चरम पर था, उनकी संख्या एक सौ छब्बीस से घटकर अब मात्र अड़तीस रह गई है। उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री के संकल्प का उल्लेख करते हुए कहा कि मार्च 2026 तक नक्सलवाद पूरी तरह समाप्त हो जाएगा।
कांग्रेस पर हमला बोलते हुए सांसद ने कहा कि पंडित नेहरू और बाद की कांग्रेस सरकारों ने जनजातीय समाज के विकास को लेकर औपनिवेशिक मानसिकता अपनाई, जिससे उनकी संस्कृति प्रभावित हुई। मध्यप्रदेश की नियोगी कमेटी रिपोर्ट में इस पर विस्तार से उल्लेख किया गया, लेकिन कांग्रेस सरकार ने इस रिपोर्ट को दबा दिया।
रावत ने कहा कि भाजपा ही जनजातीय समाज की सबसे बड़ी समर्थक पार्टी है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके सबसे बड़े हितैषी हैं। भाजपा सरकार ने 1999 में जनजातीय मंत्रालय की स्थापना की, 2003 में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग बनाया, लोकसभा और विधानसभा में आरक्षण बढ़ाया, 2021 में जनजातीय गौरव दिवस की शुरुआत की, दस राष्ट्रीय जनजातीय संग्रहालयों की स्थापना की, जनमन योजना के तहत चौबीस हजार करोड़ रुपये और धरती आबा अभियान के तहत अस्सी हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया।
सांसद मन्नालाल रावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने जनजातीय समाज के उत्थान और विकास की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं, जिससे यह समाज आत्मनिर्भर और सशक्त बन रहा है। उन्होंने कहा कि यह भारत के लोकतंत्र का सौभाग्य है कि मोदी सरकार ने विरासत के साथ विकास की नीति अपनाई है, जिससे जनजातीय समाज को ऐतिहासिक लाभ मिला है।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुनीता