रासायनिक जांच के साथ ही जीवाणुकरण पैरामीटर का एनएबीएल प्रमाणीकरण कराया जाए

जयपुर, 14 फ़रवरी (हि.स.)। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव भास्कर ए सावंत ने कहा कि विभाग द्वारा आमजन को उचित गुणवत्ता का पेयजल उपलब्ध कराना हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है, ताकि जल जनित बीमारियों की संभावना नहीं रहे। इस उद्देश्य से जल नमूनों की अधिक से अधिक जांच करवाई जानी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि प्रयोगशालाओं का राष्ट्रीय स्तर पर बेंच मार्किंग कराने के लिए रासायनिक जांच के साथ ही जीवाणु करण पैरामीटर का एन.ए.बी.एल प्रमाणीकरण कराया जाना आवश्यक है।

सावंत ने विभाग के गांधीनगर स्थित सभागार में आयोजित एक दिवसीय राज्य स्तरीय विभागीय कार्यशाला के दौरान यह बात कही। उन्होंने कहा कि समस्त जल नमूनों की जांच तथा उनके टेस्ट रिजल्ट जल जीवन मिशन की वेबसाइट्स पर शत-प्रतिशत अपलोड किया जाना सुनिश्चित करें। साथ ही राज्य की समस्त जिला प्रयोगशालाओं को जीवाणु परीक्षण पैरामीटर के लिए समयबद्ध रूप से एन.ए.बी.एल प्रमाणीकरण किया जाए।

अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि वर्तमान प्रयोगशालाओं में तैयार किए जा रहे आधारभूत संरचना को एन.ए.बी.एल एक्सपर्ट से अनुमोदन कराया जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश की 120 ब्लॉक स्तरीय तैयार प्रयोगशालाओं में से कम से कम 100 प्रयोगशालाओं में मल्टीपल पैरामीटर एनालाइजर की खरीद एवं इन ब्लॉक स्तरीय प्रयोगशालाओं के लिए मैनपावर लगाने की कार्यवाही की जाए। उन्होंने केमिस्ट विंग को निर्देश दिये कि जिला स्तर पर आयोजित होने वाली जिला जल एवं स्वच्छता समिति की बैठक में जल गुणवत्ता का मुद्दा जिला कलक्टर के ध्यान में लाया जाए।

जल जीवन मिशन के मिशन निदेशक कमर उल जमान चौधरी ने जल गुणवत्ता की प्रगति एवं उनके गैप-एसेसमेन्ट के बारे में बताया तथा एन.ए.बी.एल प्रमाणीकरण हेतु किये जाने वाले कार्यों का चरणबद्ध रूप से किये जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत स्तर पर सरपंचों को भी जल गुणवत्ता के बारे में मोटिवेट किया जाए साथ ही ब्लॉक स्तरीय प्रयोगशालाएं स्थापित करने के निर्देश दिये।

कार्यशाला में यूनिसेफ के वॉश अधिकारी नानक संत दासानी तथा इनरेम के प्रतिनिधियों ने प्रतापगढ़ एवं करौली में जल सुरक्षा से संबंधित किये जाने वाले कार्यों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। केन्द्रीय वॉश एवं एन.ए.बी.एल एक्सपर्ट डा. भावना त्रिवेदी ने एक्सपर्ट के तौर पर एन.ए.बी.एल प्रमाणीकरण के लिए आवश्यक आईएसओ 17025.2017 तथा एम.एफ.टी. (मल्टीपल फिल्टरेशन तकनीकी) के बारे में विस्तृत रूप से प्रतिभागियों को बताया। मुख्य रसायनज्ञ पीएचईडी रोहिताश कुमार मीणा ने राज्य में मुख्यमंत्री बजट घोषणा के अनुसार किए जा रहे जीवाणु परीक्षण का एन.ए.बी.एल प्रमाणीकरण के लिए जगह की आवश्यकता, सिविल कार्य प्रयोगशालाओं के लिए वांछित मेन पावर तथा उनकी सेवाओं के लिए निविदा की स्थिति एवं प्रयोगशालाओं काे इन्स्ट्रूमेंट तथा केमिकल के प्रोक्योरमेंट की स्थिति के बारे में बताया।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश

   

सम्बंधित खबर