पूसीरे ने इस फरवरी में कई महत्वपूर्ण बुनियादी संरचना कार्य किए पूरे
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- Mar 05, 2025

गुवाहाटी, 5 मार्च (हि.स.)। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (पूसीरे) ने फरवरी 2025 में कई महत्वपूर्ण बुनियादी संरचना उन्नयन को सफलतापूर्वक पूरा किया है। यह कार्य रेलवे की बुनियादी संरचनाओं में बढ़ोतरी और यात्रियों एवं माल परिवहन दोनों के लिए सुरक्षित, तेज़ और अधिक विश्वसनीय सेवाएं प्रदान करने के लिए पूसीरे के निरंतर प्रयासों को रेखांकित करते हैं।
पूसीरे के सीपीआरओ कपिंजल किशोर शर्मा ने बताया है कि इस महीने के दौरान एक महत्वपूर्ण उपलब्धि वारइग्राम-अगरतला सेक्शन पर पानीसागर और पेंचारथल स्टेशन के बीच 57/7-8 किमी पर रोड अंडर ब्रिज (आरयूबी) का सफलतापूर्वक निर्माण है। 14 फरवरी, 2025 को इस नए आरयूबी के चालू होने से उक्त स्थान पर अनधिकृत ट्रैक क्रॉसिंग स्थायी रूप से समाप्त हो गया है। इससे ट्रेन परिचालन और स्थानीय आबादी दोनों की सुरक्षा में काफी बढ़ोतरी हुई है।
इसके अलावा, पूसीरे ने चापरमुख और कामपुर स्टेशनों के बीच 102/7-8 किमी स्थित मुख्य पुल संख्या 103 पर पुराने गर्डरों को बदलने का कार्य पूरा कर लिया गया है। सभी चार गर्डरों के सफल प्रतिस्थापन के बाद अब 75 किमी प्रति घंटे की मौजूदा गति सीमा भी हटा ली जाएगी, जिससे ट्रेनों की गति बढ़ाने में मदद मिलेगी और पुल पर सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित होगा।
लामडिंग-बदरपुर पहाड़ी सेक्शन में, पूसीरे ने दो संवेदनशील स्थानों 67/9-68/0 किमी और 68/3-4 किमी पर आवश्यक बाढ़ सुरक्षा कार्य भी किए, जहां पिछले मानसून के दौरान अपस्ट्रीम क्षेत्रों से भारी मलबा प्रवाह और जलभराव का सामना करना पड़ा था। पूसीरे ने ट्रैक के पार दो मजबूत आरसीसी बॉक्स कल्वर्ट का निर्माण करने के साथ साइड ड्रेनेज चैनल और आवश्यक ढलान संरक्षण कार्य भी किया है। भारी बारिश के दौरान इन सुधारों से कुशल जल निकासी सुनिश्चित होगी और ट्रैक को सुरक्षा मिलेगी, जिससे इस महत्वपूर्ण पहाड़ी इलाके में निर्बाध ट्रेन सेवाएं सुनिश्चित होगी।
पूसीरे अपने नेटवर्क में बुनियादी संरचनाओं में निरंतर सुधार, सुरक्षा बढ़ाने और विश्वसनीय ट्रेन परिचालन सुनिश्चित करने को पूरी तरह प्रतिबद्ध है। हाल ही में पूरे हुए ये कार्य रेलवे परिसंपत्तियों के आधुनिकीकरण और यात्रियों एवं फ्रेट ग्राहकों को सुरक्षित, कुशल और निर्बाध परिवहन सेवाएं प्रदान करने की व्यापक रणनीति का हिस्सा हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / अरविन्द राय