नागा संत पंचक्रोशी परिक्रमा पथ पर उत्साह से चल रहे, राह में हाे रही पुष्पवर्षा

नागा संत पंचक्रोशी परिक्रमा पथ पर,पुष्पवर्षा से स्वागतपंचकोशी यात्रा में संत

संत दूसरे पड़ाव भीमचंडी में दर्शन पूजन के बाद करेंगे रात्रि विश्राम

वाराणसी, 06 मार्च (हि.स.)। प्रयागराज महाकुंभ से महाशिवरात्रि ​के पूर्व काशी आए नागा संत लगातार दूसरे दिन गुरूवार को भी पूरे श्रद्धा के साथ पंचक्रोशी परिक्रमा पथ पर नंगे पांव आगे बढ़ते रहे। संत पंचक्रोशी यात्रा के दूसरे पड़ाव भीमचंडी में दर्शन पूजन के बाद यहीं रात्रि विश्राम करेंगे। इसके पहले संतों ने पहले पड़ाव कंदवा स्थित कर्दमेश्वर महादेव में दर्शन पूजन के बाद वहीं धर्मशाला में रूक कर भजन कीर्तन करते हुए रात्रि विश्राम किया। सुबह फिर हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ संत दूसरे पड़ाव भीमचंडी के लिए चल पड़े। इस दौरान रास्ते में नागरिक संतों का आर्शीवाद और चरण रज लेने के लिए उमड़ पड़े। रास्ते में नागरिकों ने संतों के दल पर पुष्पवर्षा भी की।

पंचक्रोशी यात्रा के दौरान संतों का दल अष्टभुजा मंदिर पर पहुंचा तो भाजपा किसान मोर्चा के नेताओं की अगुवाई में नागरिकों ने उनपर पुष्पवर्षा की। अष्टभुजा मंदिर में दर्शन पूजन करने के बाद संत पुनः काशीपुर, मातलदेई, पयागपुर, असवारी होते हुए भीमचंडी देवी के दरबार में पहुंचे। इस दाैरान संतों की सुरक्षा में एसीपी राजातालाब अजय श्रीवास्तव और संबधित थाने के अफसर भी लगे रहे।

श्रीपंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के थानापति विवेक भारती के अनुसार नागा संत एक दिन में लगभग 15 किमी. की दूरी पैदल तय कर रहे हैं। शुक्रवार को तीसरे पड़ाव में रामेश्वर महादेव के लिए दल रवाना होगा।

बताते चलें कि श्रीपंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के नागा संत वाराणसी के शिवाला स्थित अखाड़े से पंचक्रोशी यात्रा के लिए निकले हैं। यात्रा का संकल्प लेने के बाद नागा संत बाबा विश्वनाथ के दरबार में दर्शन पूजन कर नाव से अस्सीघाट पर पहुंचे। यहां से पैदल कड़ी सुरक्षा के बीच पंचक्रोशी परिक्रमा पथ के पहले पड़ाव कंदवा स्थित कर्मदेश्वर महादेव मंदिर के लिए चल पड़े। बुधवार शाम को कर्दमेश्वर महादेव की आराधना कर यहीं रात्रि विश्राम किया। नागा संत रामेश्वर, पांचों पंडवा, अंतिम पड़ाव कपिलधारा पहुंचेंगे। यहां से नाव से पुन: मणिकर्णिका पहुंचकर संकल्प पूरा करेंगे। महानिर्वाणी अखाड़ा के संतों के अनुसार पंचक्रोशी यात्रा देश की प्राचीन परंपरा है। इसकी शुरूआत त्रेता युग में भगवान राम और इसके बाद पांडवों ने की थी। यात्रा में हम पूरे विश्व में शांति और खुशहाली की कामना करते हैं।

ज्ञानवापी मामले में सनातन के पक्ष में आएगा फैसला

श्रीपंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के महंत महेन्द्र रविन्द्रपुरी महाराज ने कंदवा में रात्रि विश्राम के दौरान बताया कि अखाड़े के नागा साधु-संत और संयासी पंचक्रोशी यात्रा पर हैं। पहले पड़ाव पर कर्दमेश्वर महादेव के दर्शन के बाद दूसरे पड़ाव भीमचंडी के लिए संत निकले हैं। संत ने ज्ञानवापी मामले में भी खुलकर बाेलें। उन्होंने कहा कि मामला न्यायालय में चल रहा है। निश्चित तौर पर फैसला सनातन के पक्ष में आएगा। वक्फ बोर्ड का मामला भी चल रहा है। भारत में न्याय प्रक्रिया है। भारत के संविधान के अनुसार प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार है। धर्म विशेष के लिए संविधान में संशोधन नहीं होना चाहिए। सबके लिए समान अधिकार है तो अधिकतर हिन्दू, मुसलमान, सिख, जैन, बौद्ध को समान नागरिक संहिता की मांग पहले से है। उम्मीद है कि देश के इतिहास में जो भूल हुई उसकाे सुधारने की चेष्टा न्यायपालिका के साथ विधायिका को भी करना चाहिए। इसके लिए जनप्रतिनिधि प्रयास कर रहे है।

वहीं दिगंबर संत शिवांक गिरी और महंत यमुनापुरी पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी प्रयागराज ने भी भरोसा जताया कि न्यायालय में चल रहे मुकदमें में सनातन के पक्ष में ही फैसला आएगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

   

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