राष्ट्रीय खेलों में 'गो ग्रीन' की ऐतिहासिक पहल, 100% रिसाइकल्ड बोतलों के साथ मिशन ज़ीरो प्लास्टिक बॉटल वेस्ट की शुरुआत

नई दिल्ली, 10 फ़रवरी (हि.स.)। 38वें राष्ट्रीय खेलों में पहली बार 'गो ग्रीन' पहल को अपनाते हुए पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया गया है।

यह पहली बार है जब किसी राष्ट्रीय खेल आयोजन में 100% आर पीईटी (रिसाइकल्ड पीईटी ) बोतलों का उपयोग किया जा रहा है। इस पहल के तहत खेल आयोजनों को पर्यावरण-अनुकूल बनाने और प्लास्टिक कचरे को पूरी तरह समाप्त करने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं।

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ऐतिहासिक कदम

राष्ट्रीय खेलों में इस बार मिशन ज़ीरो प्लास्टिक बॉटल वेस्ट की शुरुआत की गई है। खेल स्थलों पर प्रमुख स्थानों पर कांच की बोतलों का उपयोग किया जा रहा है, वहीं प्लास्टिक कचरे के पुनर्चक्रण की विशेष व्यवस्था की गई है। खेलों के दौरान एकत्रित प्लास्टिक कचरे का उपयोग बेंच निर्माण में किया जाएगा, जिससे यह कचरा दोबारा उपयोग में आ सके।

रिकॉर्ड-ब्रेकिंग पहल: पहली बार क्या हुआ खास?

भारत में पहली बार किसी राष्ट्रीय खेल आयोजन में 100% आरपीईटी बोतलों का उपयोग किया जा रहा है।

'क्लियर पानी' इस पहल को अपनाने वाला भारत का पहला ब्रांड बना, जो 'विकसित भारत' और 'आत्मनिर्भर भारत' को समर्थन देता है।

360° सर्कुलर इकोनॉमी और सस्टेनेबिलिटी ड्राइव की पहली बार शुरुआत हुई, जिसमें रिसाइकल्ड प्लास्टिक से बनी बोतलों का उपयोग और पुनः संग्रहण समानांतर रूप से किया जा रहा है।

पहली बार किसी राज्य ने इतने बड़े स्तर पर मिशन ज़ीरो प्लास्टिक बॉटल वेस्ट अभियान शुरू किया।

9,000+ एथलीटों और 20,000+ सहयोगी स्टाफ ने पर्यावरण-अनुकूल पानी की बोतलों के उपयोग की शपथ ली

पहली बार बोतलों के संग्रहण का दैनिक रिकॉर्ड रखा जा रहा है।

पहली बार कचरे को तीन भागों – सूखा, गीला और प्लास्टिक बोतल कचरा – में अलग किया जा रहा है।

बोतल क्रशर मशीन और पुनर्चक्रण का नया दृष्टिकोण

राष्ट्रीय खेलों के दौरान प्लास्टिक कचरे के प्रभावी प्रबंधन के लिए नगर निगम और ग्राम पंचायतों में बोतल क्रशर मशीनें लगाई गई हैं। इससे प्लास्टिक बोतलों को तुरंत नष्ट कर पुनर्चक्रण की प्रक्रिया को आसान बनाया जा सकेगा। खेलों के बाद इन बोतलों का उपयोग बेंच निर्माण में किया जाएगा, जिससे प्लास्टिक कचरे का पुनः उपयोग संभव हो सके।

यह पहल न केवल राष्ट्रीय खेलों के लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए एक मिसाल है। यह ऐतिहासिक कदम भविष्य में अन्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के लिए प्रेरणा बनेगा और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में नए आयाम स्थापित करेगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील दुबे

   

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