जल,जंगल और जमीन के मुददे पर राष्ट्रीय सम्मेलन आठ से

रांची, 7 जून (हि.स.)। आदिवासी संघर्ष मोर्चा की ओर से आठ और नौ जून को रांची स्थित एचडीसी हॉल में दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेोलन का आयोजन किया जाएगा। सम्मेालन में देशभर के जल-जंगल-जमीन, पर्यावरण, आदिवासी अधिकारों और संवैधानिक हकों के लिए संघर्षरत आंदोलनों के प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं।

यह जानकारी रांची के मेन रोड स्थित भाकपा मामले के राज्य कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्त्ता में शनिवार को दी गई। प्रेस वार्त्ता में भाकपा माले के राज्य सचिव मनोज भक्त, राष्ट्रीय संयोजक देवकीनंदन बेदियां, राज्य संयोजक जगरनाथ उरांव, आदिवासी नेता सुशीला तिग्गा ने संयुक्त रूप से केंद्र सरकार और झारखंड में भाजपा– संघ की नीतियों की आलोचना की।

उन्होंने कहा कि देशभर में जल, जंगल और जमीन की लूट तेज़ी से बढ़ी है। प्राकृतिक संसाधनों को कॉरपोरेट घरानों को सौंपा जा रहा है, जबकि इन संसाधनों पर पारंपरिक अधिकार रखने वाले आदिवासियों को जबरन बेदखल किया जा रहा है।

विकास के नाम पर संस्‍कृति को किया जा रहा तहस-नहस

उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज सिर्फ जमीन और जंगल से जुड़ा नहीं है, बल्कि उनकी संस्कृति, भाषा, धर्म और परंपराएं भी इसी से जुड़ी हुई हैं। लेकिन मौजूदा सरकारें विकास के नाम पर इन सभी को तहस-नहस करने पर तुली हुई हैं। कहीं पर्यटन परियोजना के नाम पर, तो कहीं सुरक्षा अभियान के नाम पर आदिवासियों को उनके जल-जंगल-जमीन से खदेड़ा जा रहा है। छत्तीसगढ़ इलाकों में माओवाद के नाम पर आदिवासियों पर दमन चल रहा है।

साथ हीं कहा कि भाजपा और संघ परिवार झारखंड सहित पूरे देश में आदिवासियों के बीच सांप्रदायिक विभाजन पैदा करने की कोशिश में लगे हैं।

उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज ने हमेशा से अपने जल-जंगल-जमीन, संस्कृति और अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष किया है।

सम्मेलन में भाकपा (माले) के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य, देशभर से आदिवासी आंदोलनों के नेता, सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता, पर्यावरण संघर्षों से जुड़े लोग और झारखंड के विभिन्न हिस्सों से जन आंदोलनों से जुड़े लोग हिस्सा लेंगे।

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हिन्दुस्थान समाचार / Vinod Pathak

   

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