विकास का आइना, नाव के सहारे 20 हजार लोगों की कट रही जिंदगी

भागलपुर, 21 नवंबर (हि.स.)। भागलपुर शहर से सटे शंकरपुर दियारा समेत कई गांव आज भी मूलभूत सुविधा से महरूम हैं। लगभग 20 हजार आबादी वाले इस इलाके में गंगा नदी पार कर शहर पहुंचना आज भी किसी चुनौती से कम नहीं है।

तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के समानांतर बहने वाली गंगा इस क्षेत्र को पूरी तरह कटाव और बाढ़ की मार के बीच अलग-थलग कर देती है। इन गांवों के लिए आवाजाही का एकमात्र सहारा नावें हैं, जो रोज़ाना हजारों लोगों को शहर तक लाती-ले जाती हैं। लेकिन नाव का यह सफर न तो सुरक्षित है और न ही सुविधाजनक।

गांव के सरपंच दिनेश बताते हैं कि सबसे ज्यादा दिक्कत गर्भवती महिलाओं और गंभीर मरीजों को झेलनी पड़ती है। रात में प्रसव पीड़ा या आपात स्थिति आने पर नाव वाले नदी में उतरने से कतराते हैं। कई बार इलाज के अभाव में नहीं, बल्कि समय पर नाव नहीं मिलने से लोगों की जान तक चली गई है।

दियारा का पूरा इलाका बाढ़ग्रस्त रहता है और हर साल लगभग 25 हजार से अधिक लोग बाढ़ की मार झेलते हैं। ग्रामीण बताते हैं कि चचरी पुल ही उनका सहारा था, जिसे हर साल ग्रामीण चंदा जुटाकर बनवाते थे। लेकिन इस वर्ष 2025 में पर्याप्त राशि नहीं जुट सकी, जिसकी वजह से अभी तक चचरी पुल का निर्माण नहीं हो पाया है।

इस कारण स्कूली बच्चों से लेकर महिलाओं तक सभी को नाव का इंतज़ार करते घंटों बिताने पड़ रहे हैं। यहां नदी किनारे छोटे-छोटे बच्चे टिफिन बैग लिए नाव की बारी आने का इंतज़ार करते देखे जा सकते हैं।‌ वहीं महिलाएँ रोजमर्रा की जरूरतों के लिए नदी पार का जोखिम उठाने को मजबूर हैं।‌

ग्रामीणों ने बताया कि जिला प्रशासन ने इस क्षेत्र में पक्का पुल बनाने का वादा किया था। लेकिन तीन साल बीतने के बाद भी न तो काम शुरू हुआ और न ही कोई पहल नजर आती है। हालात इतने बदतर हैं कि करीब पांच हजार लोग प्रतिदिन शहर आने-जाने को मजबूर हैं, वह भी ऐसे सफर से जो हर दिन किसी बड़ी दुर्घटना की आशंका लिए होता है।

ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन से अविलंब पहल कर स्थायी पुल निर्माण की दिशा में कदम उठाने की मांग की है, ताकि भविष्य में किसी अनहोनी को रोका जा सके। वहीं नवनिर्वाचित विधायक के लिए भी यह आने वाले दिनों में चुनौती साबित होने वाली है।

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हिन्दुस्थान समाचार / बिजय शंकर

   

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