प्रमुख आरओबी और आरयूबी के साथ रेल सड़क बुनियादी संरचनाओं का आधुनिकीकरण

गुवाहाटी, 08 अप्रैल (हि.स.)। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (पूसीरे) ने असम, बिहार और पश्चिम बंगाल में रेलवे संरक्षा को मजबूत करने और बुनियादी संरचना को उन्नत करने में उल्लेखनीय प्रगति की है। अप्रैल, 2024 से मार्च, 2025 की अवधि में, पूसीरे ने रोड ओवर ब्रिज (आरओबी), रोड अंडर ब्रिज (आरयूबी), लो हाइट सबवे (एलएचएस), अवैध पारगमन बंद करना और नियोजित डायवर्जन को सम्मिलित करने के साथ 28 मानवयुक्त समपार (एमएलसी) को समाप्त कर दिया। इन प्रयासों से संरक्षा में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, विलंबता में कमी और समग्र परिचालन दक्षता में सुधार हुआ है। इसके अतिरिक्त, इस अवधि के दौरान 11 आरओबी और 26 आरयूबी के निर्माण ने कनेक्टिविटी में सुधार किया है और सड़क एवं रेल परिवहन दोनों के लिए सुचारू, भीड़-भाड़ से मुक्त आवाजाही सुनिश्चित की है, जो आधुनिक और विश्वसनीय परिवहन समाधानों के लिए पूसीरे की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

पूसीरे के सीपीआरओ कपिंजल किशोर शर्मा ने आज बताया है कि उक्त बुनियादी संरचनाओं के अपग्रेड का कार्य भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई), रेलवे मंडलों, निर्माण विंग और डिपॉजिट एजेंसियों जैसी विभिन्न एजेंसियों द्वारा राज्य सरकारों एवं अन्य स्टेकधारकों के साथ मिलकर किया गया। सहयोगात्मक दृष्टिकोण ने डिब्रूगढ़, कामरूप (मेट्रो), जोरहाट और लखिमपुर जैसे प्रमुख स्थानों पर महत्वपूर्ण आरओबी या अलीपुरद्वार और कोकराझार जैसे क्षेत्रों में आरयूबी या एलएचएस संरचनाओं सहित उक्त परियोजनाओं को समय पर पूरा करना सुनिश्चित किया।

प्रत्येक परियोजना की योजना यातायात परिमाण और स्थानीय आवश्यकताओं के गहन आकलन के आधार पर बनाई गई थी। उदाहरण के लिए, जोरहाट में एफएम-57 और लखिमपुर में आरएम 257 जैसे उच्च-यातायात वाले स्थानों को बेहतर सुरक्षा और निरंतर संपर्क सुनिश्चित करने के लिए अच्छी तरह से संरचित रोड ओवर ब्रिज (आरओबी) से सुसज्जित किया गया। इसके विपरीत, कम यातायात वाले स्थानों को संसाधनों के कुशल उपयोग करने के लिए सीधे तौर पर बंद कर प्रबंधित किया गया।

इन विकासों ने पूर्वोत्तर भारत में परिवहन परिदृश्य को बदलना शुरू कर किया है। उल्लेखनीय लाभों में दुर्घटनाप्रवण समपारों का उन्मूलन, सड़क पर भीड़ और यात्रा विलंब में कमी, निर्बाध ट्रेन परिचालन और लॉजिस्टिक एवं यात्री आवागमन में समग्र सुधार शामिल हैं। इसके अलावा, इन कार्यों ने क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं, विशेष रूप से दूरदराज और सीमावर्ती जिलों में पहुंच में सुधार और सुगम माल परिवहन को सक्षम कर प्रत्यक्ष प्रभाव डाला है।

स्थिरता के दृष्टिकोण से, समपार पर बार-बार रुकने की समस्या दूर होने से ईंधन की खपत और उत्सर्जन में कमी आई है, जिससे भारत के पर्यावरणीय लक्ष्यों को समर्थन मिला है। पू. सी. रेलवे उन्नत इंजीनियरिंग, रणनीतिक योजना और क्रॉस एजेंसी सहयोग के माध्यम से प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसका लक्ष्य आने वाले वर्षों में गति, सुरक्षा तथा सेवा वितरण को और अधिक बेहतर बनाना है।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश

   

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