हिसार : वीरांगना लक्ष्मी बाई की कहानी औरत के जज्बे व स्वाभिमान की कहानी: अशोक शर्मा

भाविप विवेकानंद के सदस्यों ने माल्यार्पण कर

मनाई जयंती

हिसार, 19 नवंबर (हि.स.)। भारत विकास परिषद विवेकानंद

के सदस्यों ने प्रकल्प प्रमुख अशोक शर्मा के नेतृत्व में रानी लक्ष्मी बाई की प्रतिमा

पर माल्यार्पण कर जयंती पर उन्हें नमन किया। सभी पदाधिकारियों ने उनके जीवन पर प्रकाश

डाला और उनकी देशभक्ति को नमन किया।

प्रकल्प प्रमुख अशोक शर्मा ने बुधवार काे कहा कि लक्ष्मी

बाई की कहानी सिर्फ तलवार और घोड़े की नहीं, बल्कि उस औरत के जज़्बे की है जो अपने

अधिकारों की रक्षा, भारत के गौरव और स्वाभिमान को बचाने के लिए अंग्रेजी हुकूमत से

भिड़ गई और अन्याय को चुनौती देकर खुद की पहचान बनाई। भारत के इतिहास में अगर किसी

एक स्त्री ने साहस, स्वाभिमान और स्वतंत्रता की लौ को अमर कर दिया तो वह हैं झांसी

की वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई। उनकी जयंती के दिन भारत उनकी वीरता को याद करता है और

हर महिला उनके जीवन से नई प्रेरणा पाती है।

लक्ष्मी बाई की कहानी सिर्फ तलवार और घोड़े

की नहीं, बल्कि उस औरत के जज़्बे की है जो अपने अधिकारों की रक्षा, भारत के गौरव और

स्वाभिमान को बचाने के लिए अंग्रेजी हुकूमत से भिड़ गई और अन्याय को चुनौती देकर खुद

की पहचान बनाई। बचपन से ही वे तीर-कमान, घुड़सवारी और तलवारबाज़ी में निपुण थीं। एक

रूढि़वादी समाज में उन्होंने वह किया जिसे लड़कियां करने की अनुमति तक नहीं पाती थीं।

उन्होंने अपने जीवन को बंधनों के बजाय स्वतंत्रता की उड़ान दी। विवाह के बाद वे झांसी

की रानी बनीं लेकिन जब अंग्रेजों ने अन्यायपूर्ण तरीके से झांसी हड़पने की कोशिश की,

तो एक युवा महिला ने साम्राज्य की नींव हिला देने वाला जवाब दिया कि मैं अपनी झांसी

नहीं दूंगी। इस दौरान शाखा अध्यक्ष अमर गोयल, संजीव गोयल, सुमित मित्तल, प्रदीप अग्रवाल,

रमेश गोयल व प्रदीप गर्ग सहित अनेक सदस्य उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर

   

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