जयपुर, 14 जनवरी (हि.स.)। माघ कृष्ण प्रतिपदा मंगलवार को मकर संक्रांति पर्व धूमधाम से मनाया गया। राजधानी में मंगलवार को सुबह से खिली धूप में लोगों ने दिनभर पतंगबाजी की ओर रात को आतिशबाजी का लुत्फ उठाया। उत्साहित लोगों ने दीपावली की तरह आतिशबाजी कर आसमान को सतरंगी कर दिया। पतंगबाजों ने सूर्योदय से पहले ही छतों पर डेरा जमा लिया। शाम ढलने तक लोग अपनी छतों पर डटे रहे। डीजे की धुनों पर नाचते गाते लोगों ने जमकर पतंगबाजी का लुत्फ उठाया और आसमान में रंग-बिरंगी पतंगों की बहार के बीच वो काटा-वो काटा की आवाजें गूंजती रहीं। वहीं मंगलवार देर शाम तक लोग छतों पर डटे रहे। कुछ लोगों ने तो सुबह का नाश्ता और दोपहर का भोजन तक छत पर किया। हर मकान की छत पर रौनक देखने लायक थी। वो काटा, वो मारा का शोर और डीजे की धुनों पर बजता संगीत, हर किसी को थिरकने पर मजबूर कर रहा था। आसमान में पतंगें थिरक रही थी, छतों पर लोग खुशी से झूमते हुए नजर आए। मोबाइल में खोए रहने वाले युवा और बच्चों में सबसे ज्यादा पतंगबाजी का उत्साह देखने को मिला। हर उम्र के लोग दिनभर पतंगबाजी में व्यस्त नजर आए। बच्चे भी पतंगबाजी करने से पीछे नहीं रहे। बच्चों ने छोटी पतंग और गुब्बारे उड़ाए। इसके चलते आसमान भी रंग-बिरंगी पतंगों से सजा दिखाई दिया। महिलाओं ने भी नाश्ते और भोजन से फुर्सत मिलते ही बच्चों के संग पतंगबाजी की। कॉलोनियों में कई घरों पर सामूहिक पतंगबाजी भी की गई। कई घरों के बच्चे एक ही बड़ी छत पर एकत्र हो गए और जमकर पतंगबाजी की।
शाम को आतिशबाजी से रंगीन हुआ आसमान
दिनभर पतंगबाजी के बाद शाम होते ही बड़ी संख्या में लोग अपने घरों की छतों पर पहुंच गए। इस दौरान डीजे की धुनों पर नाचते लोगों ने आतिशबाजी शुरू कर दी। जिससे आसमान रंगीन रोशनी से सराबोर हो गया। अंधेरा होने के साथ जुगनू से टिमटिमाते विशिंग लैंप जयपुर के आसमान में तारों से चमकने लगे। रात होते-होते जयपुर के आसमान में तारों की संख्या में विशिंग लैंप नजर आए।
चारदीवारी के बाहर भी जमकर चले पटाखे
सिर्फ चारदीवारी ही नहीं, बल्कि बाहरी क्षेत्र में भी जमकर आतिशबाजी की गई। वैशाली नगर, मालवीय नगर, मानसरोवर, बनीपार्क, झोटवाड़ा, विद्याधर नगर, आदर्श नगर, राजा पार्क और आमेर में बड़ी संख्या में लोग अपने घरों पर पटाखे चलाते नजर आए। जिसके बाद पूरा जयपुर दीपावली सी रोशनी से जगमग हो उठा। गुलाबी शहर जयपुर पीली रोशनी से रोशन हो गया। जिसे नाहरगढ़ से देखने से ऐसा लग रहा था, जैसे पूरे जयपुर ने सोने की चादर ओढ़ ली है।
जरुरतमंदों को किया दान कर कमाया पुण्य
लोगों ने और स्वयंसेवी संस्थाओं ने कठपुतली नगर, झालाना डूंगरी, सहकार मार्ग, विद्याधर नगर, मानसरोवर, न्यू सांगानेर रोड स्थित कच्ची बस्तियों के बच्चों को बिस्कुट, तिल के लड्डू का वितरण किया। दान दाताओं ने बाल सुधार गृहों में खेल सामग्री, तिल के लड्डू का दान किया। इससे बच्चों में खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
विभिन्न डे केयर सेंटर, मानव कुष्ठ कुष्ठ आश्रम, इंदिरा कुष्ठ आश्रम, शंकर सेवा धाम सहित अन्य वृद्धाश्रम में दानदाताओं ने खाद्य सामग्री का वितरण किया। बेसहारा, निराश्रित वृद्धों को मोजे, दस्ताने दक्षिणा देकर पुण्य कमाया।
उत्तरायण सूर्य में हुए मांगलिक कार्य
ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि सुबह से शाम तक पर्व का पुण्यकाल रहने से लोगों को दान-पुण्य करने का पूरा समय मिला। सूर्य भगवान सुबह 8.55 बजे धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश कर गए। सुबह राशि परिवर्तन करने से संक्रांति का पुण्यकाल सूर्योदय से सूर्यास्त तक यानी सुबह 7.21 से शाम 5.50 तक बजे रहा महापुण्य काल सुबह 9.03 से 10.52 बजे तक रहने से इसी समय सबसे ज्यादा धर्म-पुण्य कार्य किया गया। पुनर्वसु नक्षत्र, कुमार योग सहित अन्य संयोग ने मकर संक्रांति पर्व को बेहद खास बना दिया। मकर संक्रांति को सूर्य भगवान दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाएंगे। ऐसे में मंगलवार को कई मांगलिक आयोजन भी हुए।
पंडित बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि मकर संक्रांति का विशेष धार्मिक महत्व है। इस दिन सूर्य द्वादश राशियों में से दसवीं राशि मकर में प्रवेश करते हैं। यह दिन मलमास की समाप्ति का प्रतीक भी है, जिसके बाद मांगलिक कार्य शुरू होते हैं। इस दिन किया गया दान-पुण्य बृहस्पति ग्रह के शुभ फल प्रदान करता है और पूर्वजों को पितृ लोक में शांति मिलती है। पतंग उड़ाना खुशहाली का प्रतीक माना जाता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश