विपक्ष ने की डीपीडीपीए की आरटीआई को प्रभावित करने वाली धारा हटाने की मांग

नई दिल्ली, 10 अप्रैल (हि.स.)। विपक्षी गठबंधन का कहना है कि डिजिटल व्यक्तिगत डेटा प्रोटेक्शन अधिनियम (डीपीडीपीए) की एक धारा सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई) के तहत लोगों को मिली ताकत पर हमला करती है। इससे आरटीआई निष्प्रभावी हो जाएगा। विपक्ष ने इस धारा को हटाए जाने की मांग की है।

विपक्षी आईएनडीआई गठबंधन के नेताओं ने गुरुवार को यहां प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक संयुक्त पत्रकार वार्ता की। वार्ता में कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने मुख्य वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा कि आरटीआई एक्ट 2005 लोगों को सशक्त बनाने के लिए लाया गया था। हालांकि डीडीपीए की एक धारा से लोगों के अधिकार और मीडिया की स्वतंत्रता को छीनने की कोशिश की गई है।

डीपीडीपी अधिनियम को संसद में पारित होने के बाद 11 अगस्त 2023 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली थी। हालांकि यह अभी लागू नहीं हुआ है। अधिनियम के तहत नियमों अधिसूचित करने के बाद इसे लागू किया जाएगा।

गौरव गोगोई का कहना है कि विधेयक में संयुक्त संसदीय समिति की सिफारिशों को नहीं माना गया। मणिपुर पर अविश्वास प्रस्ताव के बीच इसे 2023 में पारित करा लिया गया। हम तब से इसके प्रभावों का अध्ययन कर रहे हैं। हाल ही में लोकसभा में सिविल सोसाइटी संगठन, गठबंधन के दलों और नागरिक समाज ने राहुल गांधी से मिलकार यह मुद्दा उठाया था।

विपक्ष ने अधिनियम की धारा 44 (3) को हटाए जाने की मांग की है और निर्णय लिया कि विपक्ष मिलकर एक कलेक्टिव पिटीशन इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव को देगा।

उल्लेखनीय है कि डीपीडीपी अधिनियम की धारा 44 (3) में आरटीआई अधिनियम की धारा 8 (1) (j) में बदलाव की बात कही गई है। इसपर आरटीआई कार्यकर्ताओं का कहना है कि इससे 2005 के अधिनियम के तहत मिलने वाली जानकारी कम हो जाएगी।

आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(j) व्यक्तिगत जानकारी को सार्वजनिक करने से छूट प्रदान करती है। हालांकि इसमें कहा गया है कि सार्वजनिक हित में होने पर यह नियम लागू नहीं होता। नए अधिनियम से इसमें बदलाव किया गया है और सार्वजनिक हित का विषय हटा दिया गया है। इसे बदलकर ‘व्यक्तिगत जानकारी से संबंधित है’ कर दिया गया है।

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हिन्दुस्थान समाचार / अनूप शर्मा

   

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