भारतीय भाषा संगम पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन

जम्मू, 15 जनवरी (हि.स.)। जम्मू केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूजे) में हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग ने शिक्षा मंत्रालय के अधीन भारतीय शिक्षण मंडल एवं भारतीय भाषा समिति के साथ मिलकर भारतीय भाषा संगम पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। कुलपति प्रो. संजीव जैन के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यक्रम में सांबा के उपायुक्त राजेश शर्मा, जापान से पद्मश्री प्रो. तोमियो मिजोकामी, सीयूजे के रजिस्ट्रार प्रो. यशवंत सिंह और आईआईएमसी, जम्मू से प्रो. दिलीप कुमार सहित कई प्रतिष्ठित हस्तियां शामिल हुईं।

सम्मेलन की शुरुआत हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग के प्रमुख प्रो. भारत भूषण द्वारा गर्मजोशी से स्वागत के साथ हुई जिन्होंने विशिष्ट अतिथियों का परिचय कराया। कुलपति प्रो. संजीव जैन ने अतिथियों को भारतीय परंपरा और सम्मान के प्रतीक स्मृति चिन्ह और नारियल भेंट कर सम्मानित किया। पद्मश्री प्रो. तोमियो मिजोकामी ने अपने मुख्य भाषण में भारतीय भाषाओं में भारतीयता पर बात की। उन्होंने भारत की भाषाई समृद्धि को इसकी पहचान की आधारशिला बताया और विश्व शांति को बढ़ावा देने में भारतीय भाषाओं की भूमिका पर जोर दिया। प्रो. मिजोकामी ने संस्कृत, हिंदी, बंगाली, मराठी और तमिल सहित भारतीय भाषाओं में भाषाई समानताओं का तुलनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत किया और उनके साझा व्याकरणिक आधारों को रेखांकित किया।

कार्यक्रम के संरक्षक के रूप में प्रो. संजीव जैन ने अंग्रेजी-प्रधान प्रणाली के कारण शिक्षा में भारतीय भाषाओं के घटते उपयोग पर विचार किया और आगाह किया कि यह प्रवृत्ति भारत की प्रगति को प्रभावित कर सकती है। उन्होंने भारतीय भाषाओं में शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए नई शिक्षा नीति (एनईपी) की प्रशंसा की और प्राकृत जैसी प्राचीन भाषाओं को पुनर्जीवित करने के लिए सरकारी पहलों पर प्रकाश डाला।

सांबा के डिप्टी कमिश्नर राजेश शर्मा ने संस्कृति के संरक्षण और राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा देने में भारतीय भाषाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उद्घाटन सत्र का समापन प्रो. यशवंत सिंह के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। कार्यक्रम में डॉ. केतन भट्ट द्वारा ध्यान मंत्र और कल्याण मंत्र का आह्वान, शोध विद्वान विष्णु द्वारा ध्यान वाक्य प्रस्तुति और डॉ. वंदना शर्मा द्वारा कार्यक्रम का निर्बाध समन्वय भी शामिल था।

इसके बाद के सत्रों में पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के प्रो. गुरपाल सिंह संधू, गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर के सेवानिवृत्त प्रोफेसर प्रो. विनोद तनेजा, जम्मू विश्वविद्यालय की सेवानिवृत्त प्रोफेसर प्रो. नीलम सराफ और शारदा लिपि के विशेषज्ञ संजय पंडित सहित कई प्रसिद्ध वक्ताओं ने अपने विचार रखे। उनकी व्यावहारिक चर्चाओं ने दर्शकों को भारतीय भाषाओं के विकास, महत्व और संरक्षण के बारे में समझने में मदद की। आईआईएमसी जम्मू के प्रो. दिलीप कुमार के नेतृत्व में समापन सत्र में देश की ज्ञान परंपराओं में भारतीय भाषाओं और साहित्य के योगदान पर चर्चा की गई।

हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा

   

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