पलवल: केंद्र व प्रदेश सरकार के फसल अवशेष प्रबंधन प्रयास सराहनीय : उपायुक्त

पलवल, 15 अप्रैल (हि.स.)। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के निर्देशों की अनुपालना में हरियाणा कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से किसानों से पूसा-44 की जगह धान की कम अवधि में तैयार होने वाली किस्मों को अपनाने का आह्वान किया है ताकि धान की पराली को खुले में जलाने पर प्रभावी रूप से नियंत्रण किया जा सके।

उपायुक्त डा. हरीश कुमार वशिष्ठ ने मंगलवार को जानकारी देते हुए बताया कि केंद्र और प्रदेश सरकार की ओर से फसल अवशेष प्रबंधन के लिए सराहनीय कदम उठाए जा रहे हैं। राज्य सरकार की ओर से फसल अवशेष प्रबंधन के लिए सभी संभावित विकल्पों की खोज की गई है। इस दिशा में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में धान की पराली को खुले में जलाने पर प्रभावी नियंत्रण के लिए धान की कम अवधि वाली किस्मों को अपनाने की सिफारिश की गई है।

सीएक्यूएम ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की मदद से एनसीआर क्षेत्रों के लिए कम अवधि में तैयार होने वाली चावल की किस्मों की सिफारिश की है। उन्होंने कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे आगामी धान बुवाई के मौसम में पूसा-44 की बजाए किसानों को कम अवधि में तैयार होने वाली चावल की किस्मों को अपनाने के लिए जागरूक और प्रोत्साहित करें।

उपायुक्त ने किसानों से आह्वान किया कि उन्हें धान की लंबी अवधि की किस्मों जैसे पूसा-44 की के बजाय कम अवधि की धान की किस्मों को अपनाना चाहिए। उन्होंने बताया कि जो किसान कम अवधि की धान की किस्मों को अपनाएगा उन किसानों की फसल जल्द पकेगी और खेत जल्द खाली हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने किसानों से धान की किस्म सीओ-51, डीआरआर-52 व डीआरआर-56, एचकेआर-48, एनपी-107-5, चंद्रा, पीआर-126, पूसा बासमती-1509, पूसा बासमती-1692 व पूसा बासमती-1847 अपनाने की सलाह दी है।

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हिन्दुस्थान समाचार / गुरुदत्त गर्ग

   

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