वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन की तैयारी में पर्सनल लॉ बोर्ड व अन्य मुस्लिम संगठन
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- Jan 28, 2025
नई दिल्ली, 28 जनवरी (हि.स.)। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड एवं अन्य मुस्लिम संगठन वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करने की तैयारी में जुट गए हैं। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की अपील पर देश के बड़े मुस्लिम संगठनों के जिमेदारों ने नई दिल्ली में एक बैठक की है और इसके बाद एक संयुक्त बयान जारी किया है।
इस संयुक्त बयान में मुस्लिम नेताओं ने कहा कि वक्फ विधेयक पर गठित संयुक्त संसदीय समिति ने सभी लोकतांत्रिक और नैतिक मूल्यों और मुसलमानों के अधिकारों का उल्लंघन कर लाखों लोगों की राय और भावनाओं को अनदेखा किया। साथ ही विपक्षी सदस्यों के सुझावों को दरकिनार कर विधेयक के पारित होने की सिफारिश बेहद तर्कहीन, अलोकतांत्रिक तरीके से की और मुसलमानों के अधिकारों का हनन किया है।
बयान में कहा गया है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और सभी मुस्लिम संगठनों ने बार-बार यह स्पष्ट कर दिया था कि वक्फ संपत्ति के साथ खेलने की सरकार को कभी भी अनुमति नहीं दी जाएगी। वक्फ संशोधन विधेयक 2024 मुसलमानों द्वारा पूरी तरह से खारिज कर दिया गया है। संयुक्त संसदीय समिति ने संसदीय नियमों और सीमाओं का भी ध्यान नहीं रखा और सभी लोकतांत्रिक मूल्यों और परंपराओं के साथ खिलवाड़ किया है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और सभी मुस्लिम संगठनों ने जेपीसी को लिखित रूप में बिल पर अपना रुख लिखा था और मुस्लिमों ने लाखों ई मेल भेजकर इसका विरोध किया था। बोर्ड के जरिए अपने स्तर पर 66 मिलियन लोगों का ई-मेल भेजा गया था और कई मिलियन ई-मेल अन्य मुस्लिम संगठनों के प्रयासों से भेजे गए थे। जिसका रिकॉर्ड इन संगठनों के पास सुरक्षित है। बोर्ड की बैंगलोर की बैठक में सभी मुस्लिम संगठनों ने संयुक्त रूप से यह स्पष्ट किया था कि वह कभी किसी को अपनी इबादतगाहों (पूजा स्थल) और अन्य वक्फ संपत्ति की योजना बनाने या नष्ट करने का विकल्प नहीं देंगे। सरकार को मुसलमानों के धैर्य का परीक्षण नहीं करना चाहिए और देश को लोकतंत्र के बजाय ताना शाही की तरफ नहीं ले जाना चाहिए।
बैठत में कहा गया कि अल्पसंख्यकों की संपत्ति को जब्त करने का प्रयास उत्पीड़न है, जिसे कोई भी स्वीकार नहीं कर सकता है। हमें खेद है कि एनडीए के सहयोगियों ने अपनी भूमिका नहीं निभाई और भाजपा के सांप्रदायिक एजेंडे का समर्थन किया। हम विपक्ष के धर्मनिरपेक्ष दलों से एकजुट होने की अपील कर रहे हैं। बोर्ड का कहना है कि मुस्लिमों के लिए सार्वजनिक संघर्ष के अलावा अब कोई अन्य तरीका नहीं बचा है और सरकार उस स्थिति के लिए खुद जिम्मेदार होगी। हम वक्फ की संपत्ति को बचाने के लिए सभी लोकतांत्रिक उपायों और सभी स्रोतों का उपयोग करेंगे, जिसमें राष्ट्रव्यापी विरोध आंदोलन शामिल है। इसके लिए, अगर हमें सड़कों पर आना पड़े या जेल जाना पड़े तो हम इस से पीछे नहीं हटेंगे।
संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी,
अध्यक्ष
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, मौलाना सैयद अरशद मदनी,
उपाध्यक्ष मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और अध्यक्ष जमीअत उलमा-ए-हिंद, मौलाना ओबैदुल्लाह खान अज़मी,
उपाध्यक्ष
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, मौलाना असगर अली इमाम मेहदी सलफी
उपाध्यक्ष मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और अमीर जमीअत अहले हदीस, सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी
उपाध्यक्ष मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और अमीर जमात-ए-इस्लामी हिंद और सैयद कासिम रसूल एलियास,
प्रवक्ता मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत अन्य मुस्लिम संगठनों के पदाधिकारी शामिल हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/मोहम्मद ओवैस
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