साइबर अपराध और जलवायु परिवर्तन मानवाधिकारों के लिए नए खतरेः राष्ट्रपति

नई दिल्ली, 10 दिसंबर (हि.स.)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज कहा कि साइबर अपराध और जलवायु परिवर्तन मानवाधिकारों के लिए नए खतरे हैं। उन्होंने कहा कि ये चुनौतियां एक सुरक्षित, संरक्षित और न्यायसंगत डिजिटल वातावरण को बढ़ावा देने के महत्व को रेखांकित करती हैं जो प्रत्येक व्यक्ति के अधिकारों और सम्मान की रक्षा करता है। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अब हमारे दैनिक जीवन में प्रवेश कर चुका है, कई समस्याओं का समाधान कर रहा है और कई नई समस्याएं भी पैदा कर रहा है। हालांकि, एआई के साथ अपराधी एक गैर-मानव लेकिन बुद्धिमान एजेंट हो सकता है।

राष्ट्रपति आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा आयोजित मानवाधिकार दिवस समारोह को संबोधित कर रही थीं।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की 5 हजार वर्षों से अधिक की सभ्यतागत विरासत के साथ सहानुभूति, करुणा और सामंजस्यपूर्ण समुदाय के भीतर व्यक्तियों के परस्पर जुड़ाव के मूल्यों को लंबे समय तक कायम रखा है। जलवायु परिवर्तन हमें वैश्विक स्तर पर मानवाधिकारों के बारे में सोच की समीक्षा करने के लिए मजबूर करता है। एक अलग जगह और एक अलग युग के प्रदूषक दूसरे स्थान और दूसरे काल के लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहे हैं। इस संदर्भ में ग्लोबल साउथ की आवाज़ के रूप में भारत ने जलवायु कार्रवाई में सही ढंग से नेतृत्व संभाला है।

उन्होंने कहा कि ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक, ग्रीन क्रेडिट पहल और पर्यावरण के लिए जीवन शैली, या लाइफ जैसी सरकारी पहल भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और हरित ग्रह के निर्माण के लिए भारत की प्रतिबद्धता का स्पष्ट प्रदर्शन हैं।

उन्होंने कहा कि इन मूल्यों के आधार पर एनएचआरसी और एसएचआरसी जैसी संस्थाएं नागरिक समाज, मानवाधिकार रक्षकों, विशेष प्रतिवेदकों और विशेष निगरानीकर्ताओं के साथ मिलकर सभी के लिए मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही हैं। उन्होंने मानवाधिकार उल्लंघनों को खिलाफ जागरूकता बढ़ाने और हाशिए पर पड़े लोगों के अधिकारों को बनाए रखने के लिए नीतिगत बदलावों की सिफारिश करने में एनएचआरसी द्वारा निभाई गई सक्रिय भूमिका की सराहना की।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सभी नागरिकों को नागरिक और राजनीतिक अधिकारों की गारंटी देने की अपनी प्रतिबद्धता में दृढ़ है। सरकार कई सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक अधिकारों की भी गारंटी देती है।

राष्ट्रपति ने कहा कि हाल के वर्षों में मानसिक स्वास्थ्य खासकर हमारे बच्चों और युवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है । उन्होंने सभी हितधारकों से अपील की कि वे हमारे बच्चों और युवाओं को प्रभावित करने वाले तनाव को कम करने के लिए पर्याप्त उपाय शुरू करें। उन्होंने उद्योग जगत से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि बढ़ती 'गिग इकॉनमी' गिग श्रमिकों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव न डाले।

राष्ट्रपति ने मानवाधिकार दिवस पर अपील की कि हमें न्याय, समानता और गरिमा के मूल्यों के प्रति अपनी सामूहिक प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करना चाहिए जो हमारे राष्ट्र को परिभाषित करते हैं। जैसा कि हम अपने समय की चुनौतियों का सामना करना जारी रखते हैं, हमें प्रत्येक व्यक्ति के मौलिक अधिकारों को बनाए रखना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी पीछे न छूटे।

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हिन्दुस्थान समाचार / अनूप शर्मा

   

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