पर्यावरणीय स्थिरता व सतत विकास में योगदान के लिए बीबीएयू के प्रो. नवीन उज्बेकिस्तान में हुए सम्मानित
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- Nov 20, 2024
लखनऊ, 20 नवम्बर (हि.स.)। बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रो. नवीन कुमार अरोड़ा को उज़्बेकिस्तान सरकार के कृषि मंत्रालय द्वारा सम्मानित किया गया। प्रो. अरोड़ा को यह सम्मान उज़्बेकिस्तान सरकार के कृषि मंत्रालय की प्रमुख संस्था 'द इंटरनेशनल स्ट्रेटजिक सेंटर फॉर एग्री-फूड डेवलपमेंट' द्वारा इंटरनेशनल कांफ्रेंस ऑफ इकोलॉजी, एनवायरमेंट एण्ड सस्टेनेबल डेवलपमेंट कार्यक्रम में पर्यावरणीय स्थिरता एवं सतत विकास के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान के लिए दिया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एन.एम.पी. वर्मा ने प्रो. नवीन कुमार अरोड़ा को बधाई एवं शुभकामनाएं दीं और उनकी इस सफलता को विश्वविद्यालय के लिए गौरव का विषय बताया।
प्रो. नवीन कुमार अरोड़ा ने शोधकार्य के अंतर्गत उज़्बेकिस्तान की नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ उज़्बेकिस्तान एवं नेशनल रिसर्च यूनिवर्सिटी उज़्बेकिस्तान के साथ मिलकर पर्यावरण एवं भूमि पुनर्स्थापन के क्षेत्र में 3 वर्षों तक लगातार कार्य किया। इसके तहत जैविक खेती के माध्यम से जैव उर्वरकों का प्रयोग करके कम उपजाऊ भूमि को पुनः और भी अधिक उपजाऊ बनाया गया, जिसके फलस्वरूप पहले से अधिक उपजाऊ भूमि का प्रयोग फसलों की बेहतरीन पैदावार के लिए किया जायेगा। इस कार्य में जैव प्रौद्योगिकी एवं विभिन्न सूक्ष्मजीवों का प्रयोग करके एवं पर्यावरण अनुकूलन को ध्यान में रखकर कार्य किया गया है, जिसके सकारात्मक परिणाम वहां की फसलों में लगातार देखने को मिल रहे हैं। यह शोधकार्य प्रयोगशाला से भूमि तक अनुवाद संबंधी अनुसंधान का एक उत्कृष्ट उदाहरण साबित हुआ है।
प्रो. नवीन कुमार अरोड़ा ने बताया कि हमने उज़्बेकिस्तान के शोधार्थियों प्रमुखत: प्रो. दिलफुजा एगांबेरदिवा एवं उनके अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर उज़्बेकिस्तान में बॉयोलॉजिकल खेती को बढ़ावा देने का कार्य किया है, जिसके सफल परिणाम भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ने एवं बेहतर फसलों के माध्यम से देखने को मिल रहे हैं। साथ ही भविष्य में नेशनल रिसर्च यूनिवर्सिटी उज़्बेकिस्तान में जैव प्रौद्योगिकी का प्रयोग कर विभिन्न जैव उर्वरकों का निर्माण किया जायेगा। दोनों देशों की शोध टीमों द्वारा उज़्बेकिस्तान में कृषि के क्षेत्र में बेहतर शोध कार्य करने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे वहां की भूमि की स्थिति को बेहतर बनाने के साथ- साथ शैक्षिक गतिविधियों के माध्यम से दोनों देशों के विश्वविद्यालयों के मध्य आपसी संबंध स्थापित हो सकें। प्रोफेसर अरोड़ा ने बताया कि वह यह पुरस्कार पाकर बहुत खुश हैं क्योंकि उनके काम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है।
हिन्दुस्थान समाचार / उपेन्द्र नाथ राय