भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या से चित्रकूट आयी भरत यात्रा का संतों ने किया पुष्प वर्षा से स्वागत
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- Nov 20, 2024
- मणिराम दास छावनी आश्रम के महंत कमल नयन दास महाराज के नेतृत्व में चित्रकूट आयी भरत यात्रा
- राम और भरत के मिलन को देख जीवंत हुई त्रेता युग की स्मृतियां
चित्रकूट,20 नवंबर (हि.स)। भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या के मणिराम दास छावनी आश्रम से महंत कमल नयन दास महाराज के नेतृत्व में दो सौ संतों के साथ चलकर तपोभूमि चित्रकूट पहुंची भरत यात्रा का स्थानीय साधु संतों ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया।
कामदगिरि परिक्रमा मार्ग स्थित भरत मिलाप मंदिर में हुई भगवान श्रीराम और भरत मिलाप की लीला ने लोगों को भावविभोर कर दिया। नजारे को देखकर ऐसा लग रहा था मानो त्रेता युग की यादें जीवंत हो गई।
आपको बता दे कि अयोध्या के मणिराम दास छावनी आश्रम के महंत नृत्य गोपाल दास महाराज ने पचास वर्ष पूर्व भरत यात्रा की शुरुआत की थी,जो आज भी उनके उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास के नेतृत्व में जारी है। साधु-संतों ने भरत और शत्रुघ्न के प्रतीकात्मक स्वरूप का पूजन कर अयोध्या से यात्रा की शुरुआत की थी।पांच दिवसीय यह भरत यात्रा अयोध्या से नंदीग्राम, प्रयागराज होते हुए चित्रकूट पहुंची। इस दौरान साधु-संतो ने भगवान राम और भरत के आदर्श प्रेम संबंधों और अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर की महिमा का बखान किया।
यात्रा का नेतृत्व कर रहे महंत कमलनयन दास महाराज ने बताया कि “प्रभु राम धर्म और आदर्श के प्रतीक हैं. राम-भरत के आदर्श प्रेम को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से यह यात्रा आयोजित की जा रही है. यह परंपरा आज से 50 वर्ष पूर्व महंत नृत्य गोपाल दास जी ने प्रारंभ की थी, जिसे आज भी जारी रखा जा रहा है.” इस यात्रा ने अयोध्या में एक बार फिर रामायणकाल की स्मृतियों को ताजा कर दिया है। साधु-संतों और श्रद्धालुओं के इस धार्मिक उत्सव से रामभक्तों में उत्साह और श्रद्धा का संचार हुआ है।
यात्रा में शामिल नेपाल से आए जगद्गुरु महायोगी सिद्ध बाबा ने कहा कि भरत यात्रा भारतीय सनातन धर्म की समृद्धि का प्रतीक है। भारत और नेपाल का त्रेता युग से अटूट संबंध रहा है। उन्होंने कहा कि नेपाल को जल्द हिन्दू राष्ट्र बनाया जाएगा। वही कामतानाथ मंदिर चित्रकूट के महंत मदन गोपाल दास महाराज ने भरत यात्रा की महिमा का बखान करते हुए कहा कि यह यात्रा प्रेम का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र प्रेम और सद्भावना जागृत हो इस यात्रा का मुख्य लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि भारत हिन्दू राष्ट्र बने पूरे विश्व के सनातनियों का सपना है। यह सपना जल्द ही साकार होगा। वहीं अयोध्या से महंत विमल कृष्ण दास महाराज ने 50 वर्षों से चली आ रही यात्रा की गौरव गाथा का बखान किया। इस मौके पर भरत मिलाप मंदिर के महंत राममनोहर दास महाराज, मतगजेंद्र नाथ मंदिर चित्रकूट के महंत प्रदीप दास महाराज समेत सैकड़ों संत मौजूद रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / रतन पटेल