थमे बारिश...जले रावण... सांवलिया सेठ के आगे लगाई अर्जी...कामना पूरी होने पर चढ़ाया चांदी का दशानन

चित्तौड़गढ़, 27 जनवरी (हि.स.)। भगवान सांवलिया सेठ के मंदिर में अपनी मनोकामनाएं पूरी होने पर सोने और चांदी की वस्तुएं भेंट आती है। ऐसे ही एक श्रद्धालु ने अपनी मनोकामना पूरी होने पर रविवार को चांदी से बना दशानन भेंट स्वरूप चढ़ाया है। इस वर्ष दशहरे पर बादल छा गए थे और बरसात के कारण रावण दहन पर संकट हो गया था। तब रावण निर्माण करने वाले ठेकेदार ने भगवान सांवलिया सेठ से गुहार लगाई थी कि बरसात रुके और रावण दहन हो जाए। मनोकामना पूरी होने के कारण ठेकेदार ने रविवार को सांवलियाजी मंदिर में चांदी से बना दस सिर वाला रावण भेंट किया।

जिले के बड़ीसादड़ी निवासी छोटूलाल वाल्मीकि दशहरा मेले में रावण परिवार के पुतले बनाता है। गत दशहरे पर इसने निंबाहेड़ा के राष्ट्रीय दशहरा मेला निंबाहेड़ा, नाथद्वारा तथा कोटा में भी रावण परिवार के पुतले निर्माण के ठेके लिए थे। दशहरा मेला शुरू हुआ लेकिन रावण दहन के दिनों में बरसात शुरू हो गई थी। तब 9 अक्टूबर से बरसात का दौर शुरू हो गया, जबकि 12 अक्टूबर को दशहरा था। ऐसे में यह पूरी तरह से रावण का निर्माण भी नहीं कर पा रहा था। इसका मुख्य फोकस निंबाहेड़ा दशहरे मेले पर था। यहां प्रदेश में सबसे बड़ा रावण के पुतले निर्माण ( 76 फीट) को लेकर इसने चुनौती से कार्य किया था। तब 9, 10 व 11 अक्टूबर को तेज बरसात होने से यह हताश एवं निराश हो गया था। छोटूलाल का छोटा पुत्र भगवान सांवलिया सेठ का भक्त है। ऐसे में उसने अपने पिता से कहा कि वह भगवान सांवलिया सेठ से प्रार्थना करें। अपने पुत्र की बात मान कर छोटूलाल ने भगवान सांवलिया सेठ से अरदास लगाई कि उसके रावण दहन हो जाएंगे तथा किसी प्रकार व्यवधान नहीं आएगा तो वह चांदी से बना रावण भेंट करेगा। इसने भगवान सांवलिया सेठ से 11 अक्टूबर को अरदास लगाई थी, जबकि अगले दिन ही रावण दहन होना था। वहीं 12 अक्टूबर को मौसम पलटा। मौसम विभाग की संभावनों के बाद भी बरसात रुक गई। इस पर छोटूलाल ने तत्काल कार्य शुरू किया और रावण, कुंभकरण व मेघनाद के पुतले खड़ा करना शुरू कर दिया। शाम होने के साथ ही दहन का समय निकट आया तभी आसमान में फिर बादल छा गए और बरसात की संभावना शुरू हो गई। भगवान ने इसकी सुनी तथा रावण, मेघनाथ व कुंभकरण के पुतले का दहन हो गया। ऐसे में ठेकेदार ने मन ही मन भगवान सांवलिया सेठ का आभार जताया। इस संबंध में छोटूलाल वाल्मीकि ने बताया कि दशहरे पर हो रही लगातार बरसात से हताश हो गया था। मौसम विभाग का भी अलर्ट था कि बरसात नहीं रुकेगी। इससे वह काम अधूरा छोड़ कर घर जाने का मानस बना लिया था। लेकिन पुत्र के कहने पर उसने भगवान सांवलिया सेठ से मनोकामना मांगी थी, जो पूरी हो गई। मनोकामना पूरी होने पर भगवान सांवलिया सेठ को 141 ग्राम चांदी का रावण बना कर भेंट किया। इधर, श्री सांवलिया मंदिर बोर्ड के सदस्य संजय मंडोवरा ने बताया कि छोटूलाल रविवार शाम चांदी से बना रावण लेकर भेंट करने आए थे। इन्होंने बताया कि मनोकामना पूरी होने पर चांदी से निर्मित रावण भेंट कर रहे हैं। भगवान सांवलिया सेठ अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते है। मंडोवरा ने बताया कि भगवान सांवलिया सेठ को श्रद्धालु अपने व्यवसाय में पार्टनर भी रखते हैं।

76 फीट रावण का किया था निर्माण

रावण बनाने वाले ठेकेदार छोटूलाल वाल्मीकि ने बताया कि वह 2003 से रावण परिवार के पुतलों का निर्माण कर रहा है। गत दशहरे पर बरसात से चिंता बढ़ गई। दशहरे के अगले दिन पता चला कि प्रदेश में कई स्थानों पर बरसात से रावण के पुतले भीग गए थे। लेकिन उसने तीन स्थानों पर काम लिया था वहां बरसात बंद हो गई थी। इस बार यह भी मनोकामना थी कि कोटा से बड़ा रावण निंबाहेड़ा के बने, जिसमें वह सफल भी रहा। निंबाहेडा में 76 फीट के रावण का निर्माण कर दहन किया गया था।

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हिन्दुस्थान समाचार / अखिल

   

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