खेत में पराली जलने पर क्षेत्रीय लेखपाल व नोडल अधिकारी होंगे जिम्मेदार

पराली प्रबंधन व जलाने से रोकने के लिए कलेक्ट्रेट सभागार में हुई बैठक

मीरजापुर, 19 नवम्बर (हि.स.)। कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में अपर जिलाधिकारी (वि.रा.) शिव प्रताप शुक्ल की अध्यक्षता में फसल अवशेष (पराली) प्रबंधन को लेकर मंगलवार को बैठक हुई। एडीएम ने ग्राम प्रधान एवं लेखपाल को निर्देश दिया है कि किसी भी दशा में पराली व कृषि अपशिष्ट न जलाने दें। कृषि अवशेष जलाने की घटना प्रकाश में आने पर लेखपाल तथा जनपद स्तर पर संबंधित नोडल अधिकारी जिम्मेदार होंगे।

उप कृषि निदेशक विकेश कुमार पटेल ने बताया कि खरीफ मौसम में धान की फसल तैयार हो गई है तथा कटाई का कार्य चल रहा है। किसान कटाई के बाद पराली खेत में ही जला देते हैं। इससे वायु प्रदूषण होता है। पराली जलते मिलने पर किसानों पर अर्थदंड लगेगा। दो एकड़ खेत जलाने पर पांच हजार, दो एकड़ से पांच एकड़ तक खेत में पराली जलाने पर 10 हजार एवं पांच एकड़ से अधिक पराली जलाने पर 30 हजार रुपये अर्थदंड वसूल किया जाएगा। पुनरावृत्ति होने पर अर्थदंड दोगुनी होकर बढ़ती जाएगी। उन्होंने बताया कि हार्वेस्टर से कटाई करते समय रीपर, एसएमएस व बेलर अवश्य लगा हो, अन्यथा हार्वेस्टर से कटाई रोक दें। हार्वेस्टर मालिक के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज हो सकती है। किसान पराली से जैविक खाद बना सकते हैं। कृषि विभाग की ओर से पराली सड़ाने के लिए डी कम्पोस्ट का वितरण कराया जाएगा।

हिन्दुस्थान समाचार / गिरजा शंकर मिश्रा

   

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