विद्वतजनों के पोषण से भाषा का अस्तित्व और निरंतरता बनती है गौरवशाली : अमित शाह



-केंद्रीय गृह मंत्री ने ‘सस्तु साहित्य’ की 24 पुनः प्रकाशित पुस्तकों का विमोचन किया

अहमदाबाद, 09 मार्च (हि.स.)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को ‘सस्तु साहित्य मुद्रणाल्य ट्रस्ट’ के पुनः प्रकाशित 24 पुस्तकों का विमोचन किया। 115 वर्षों से गुजरातियों को कम दरों पर अच्छा साहित्य प्रदान करने वाले सस्तु साहित्य मुद्रणालय ट्रस्ट के अहमदाबाद में आयोजित कार्यक्रम ‘अखंड आनंदोत्सव’ में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल विशेष रूप से उपस्थित रहे।

इस अवसर पर सस्तु साहित्य मुद्रणालय ट्रस्ट के अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने कहा कि किसी भी भाषा का अस्तित्व और निरंतरता तभी गौरवशाली रहती है, जब उसे आगे बढ़ाने और पोषित करने के लिए विद्वत जन आगे आते हैं। उन्होंने कहा कि गोवर्धनराम त्रिपाठी, नर्मद, महात्मा गांधी, काकासाहब कालेलकर, नरसिंह मेहता और सुंदरम् जैसे अनेक गुजराती साहित्यकारों की साहित्य विरासत को संरक्षित और संवर्धित करना गुजराती भाषा के विद्वानों, प्रशंसकों और भाषाविदों का दायित्व है। उन्होंने कहा कि गुजरात में पठन गतिविधियों को गति देने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘वांचे गुजरात’ अभियान चलाया था। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने जिलों और तहसीलों में पुस्तकालयों के लिए बड़ी रकम का आवंटन किया है, जो प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि विद्वान लेखकों को साहित्व में सत्व यानी सद्गुणों को जोड़ने तथा पठन को और अधिक रोचक बनाने का काम करना चाहिए।

केंद्रीय मंत्री शाह ने कहा कि केवल पठन ही विचारों की ऊंचाई प्राप्त करने और विचारों को सद्मार्ग की दिशा में मोड़ने का काम कर सकता है, दूसरा कोई नहीं। देश का भविष्य निर्धारित करने में स्कूलों में छात्रों की संख्या की तुलना में पुस्तकालय में मौजूद लोगों की संख्या का ज्यादा महत्व है। उन्होंने कहा कि यदि बच्चे या विद्यार्थी में बचपन से ही पढ़ने की आदत होगी और इंटरनेट के आकर्षणों के बीच भी पढ़ने की आदत बनी रहेगी तो वह बच्चा जीवन में आने वाली किसी भी मुश्किल परिस्थिति या बाधाओं के बीच भी टिकने में समर्थ रहेगा। उन्होंने अपने बचपन के दिनों में पैतृक गांव की लाइब्रेरी के लाइब्रेरियन द्वारा दी गई सीख का उल्लेख करते हुए कहा कि पठन की यात्रा, कौतूहल-जिज्ञासा की संतुष्टि, पठन रुचि की जागृति, ज्ञान प्राप्ति और अंत में ज्ञान से मोक्ष प्राप्ति तक होती है।

उन्होंने कहा कि यदि अपने जीवन का कल्याण करना हो तो पढ़ने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। भिक्षु अखंडानंद द्वारा शुरू की गई कम दरों पर साहित्य निर्माण और वितरण की वर्षों पुरानी परम्परा का उल्लेख करते हुए शाह ने कहा कि भिक्षु अखंडानंद ने पठन के मूल्य को समझा और इसे सस्ता यानी किफायती बनाया। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को आगे ले जाने और ज्ञान की वृद्धि करने में उपयोगी इन पुस्तकों-साहित्य को कम दरों पर लोगों तक पहुंचाया गया। पुनः प्रकाशित की गई 24 पुस्तकों में से अधिकतर पुस्तकों के अनेक संस्करण जारी हो चुके हैं, जो इन पुस्तकों की सफलता को दर्शाते हैं। उन्होंने भिक्षु अखंडानंद की औषधि निर्माण, सामयिक प्रकाशन और सस्ता साहित्य प्रकाशन जैसी अनेक गतिविधियों का स्मरण करते हुए भिक्षु अखंडानंद को शाब्दिक श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने वर्तमान न्यासी मंडल और कार्यवाहकों द्वारा भिक्षु अखंडानंद की साहित्य प्रकाशन साधना को जारी रखने की कार्यपद्धति की भी सराहना की।

पुस्तकें हमारी शिक्षा, संस्कृति और साहित्य की विरासत : भूपेंद्र पटेल

अखंड आनंदोत्सव के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि ‘सस्तु साहित्य मुद्रणालय ट्रस्ट’ की पुस्तकें हमारी शिक्षा, संस्कृति और साहित्य की विरासत हैं। श्री भिक्षु अखंडानंद की प्रेरणा से शुरू हुआ सस्तु साहित्य ट्रस्ट केवल प्रिंटिंग प्रेस ही नहीं, बल्कि हमारी शिक्षा और साहित्य को जीवंत रखने वाली संस्था है, हमारी विशिष्ट विरासत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 1907 में स्थापित यह संस्था भाषा, साहित्य और शिक्षा की ज्योति के माध्यम से गत 116 वर्षों से समाज को मार्गदर्शन और प्रेरणा दे रही है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के बजट में 71 तहसील मुख्यालयों में नए पुस्तकालय शुरू करने के लिए 16 करोड़ रुपए और 53 आदिवासी क्षेत्रों में स्थित पुस्तकालयों में ई-लाइब्रेरी की सुविधाएं विकसित करने का आयोजन किया है।

कार्यक्रम में अहमदाबाद की महापौर प्रतिभा जैन, वरिष्ठ साहित्यकार रघुवीर चौधरी, सस्तु साहित्य मुद्रणालय ट्रस्ट के न्यासी हर्षदभाई जे. शाह, परेशभाई अमीन और प्रशांतभाई अमीन, स्थानीय विधायकगण और प्रसिद्ध साहित्यकारों सहित बड़ी संख्या में साहित्य रसिक उपस्थित रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / बिनोद पाण्डेय

   

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