अक्षय ऊर्जा समय की जरूरत,टीएमसी व्याख्यानमाला में शरद पुस्तके
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- Apr 22, 2025

मुंबई ,22 अप्रैल ( हि . स. )। नवीकरणीय ऊर्जा वह ऊर्जा है जो प्राकृतिक स्रोतों से लगातार उत्पन्न होती है और कभी समाप्त या परावर्तित नहीं होती है। फाउंडेशन फॉर इंटरडिसिप्लिनरी रिसर्च के संस्थापक ट्रस्टी शरद पुस्तके ने कहा कि यह ऊर्जा पर्यावरण के अनुकूल है और इससे प्रदूषण नहीं होता है। यह निरंतर उपलब्ध, टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल नवीकरणीय ऊर्जा है, और आवश्यकतानुसार इसका उपयोग समय की मांग है।
आज विश्व पृथ्वी दिवस, 22 अप्रैल के अवसर पर, ठाणे नगर निगम में आयोजित कार्यक्रम में डॉ द्वारा मंथन व्याख्यान श्रृंखला के तहत 'अक्षय ऊर्जा और संरक्षण' विषय पर एक व्याख्यान का आयोजन किया। यह टीएमसी द्वारा नरेंद्र बल्लाल सभागार में आयोजित किया गया था। इस व्याख्यान श्रृंखला की 16वीं किस्त पुष्पा शरद पुस्तके द्वारा संकलित की गई है। इस कार्यक्रम में अतिरिक्त आयुक्त प्रशांत रोडे, उपायुक्त उमेश बिरारी, मनपा की मुख्य पर्यावरण अधिकारी मनीषा प्रधान सहित मनपा के अधिकारी, कर्मचारी और ठाणे शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
अक्षय का अर्थ है अक्षय और ऊर्जा का अर्थ है शक्ति और समय तात्पर्य न्यूनतम ऊर्जा संसाधनों का उपयोग करके अधिकतम उत्पादन या परिणाम प्राप्त करना लक्ष्य है। इस मौके पर शरद पुस्तके ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ भविष्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना भी आवश्यक है। ऊर्जा स्रोतों की बात करें तो सौर ऊर्जा सूर्य के प्रकाश से प्राप्त ऊर्जा है, जबकि पवन ऊर्जा हवा की गति से उत्पन्न ऊर्जा है। जलविद्युत बहते पानी से प्राप्त ऊर्जा है। ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत जिनका उपयोग मनुष्य लंबे समय से ऊर्जा प्राप्त करने के लिए करता आ रहा है, वे हैं कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, लकड़ी, फसल अवशेष आदि। औद्योगिक क्रांति के बाद से कोयले का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जा रहा है और इसका उपयोग बिजली उत्पादन, उद्योग और रेलवे के लिए किया जाता है।इसलिए पेट्रोलियम का उपयोग परिवहन, कृषि और कारखानों में किया जाता है। प्राकृतिक गैस का उपयोग गैस स्टोव, गैस टर्बाइन और सीएनजी वाहनों के लिए किया जाता है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में खाना पकाने के लिए लकड़ी का उपयोग किया जाता है, जिसका वनों की कटाई के कारण पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, तथा पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के भंडार सीमित हैं, जिससे प्रदूषण और पर्यावरण क्षरण हो रहा है।
गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोत उपयोग के बाद वायुमंडल में कार्बन नहीं छोड़ते। गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोतों में सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, समुद्री ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा और बायोमास ऊर्जा शामिल हैं। सौर ऊर्जा सूर्य के प्रकाश का उपयोग करके बिजली का उत्पादन है, जिसके लिए सौर पैनल, सौर कुकर और सौर वॉटर हीटर का उपयोग किया जाता है। पवन ऊर्जा टर्बाइनों को हवा की गति से घुमाकर उत्पन्न की जाती है, तथा बड़ी पवन चक्कियां स्थापित करके भी बिजली उत्पन्न की जाती है। महासागरीय ऊर्जा महासागर के ज्वार या लहरों से प्राप्त होती है। भूतापीय ऊर्जा पृथ्वी के अंदर की गर्मी का उपयोग करके उत्पन्न की जाने वाली बिजली है। बायोगैस और बिजली का उत्पादन कृषि अवशेषों, पशुओं के गोबर, घरेलू कचरे आदि से किया जाता है। शरद पुस्तके ने आगे बताया कि गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोतों से उत्पन्न ऊर्जा नवीकरणीय होती है और खत्म नहीं होती, प्रदूषण नहीं करती और लंबे समय तक उपयोग की जा सकती है। इस अवसर पर उन्होंने सौर ताप, ठोस अपशिष्ट से बिजली उत्पादन और अपशिष्ट जल पर आधारित विभिन्न प्रक्रियाओं के महत्व पर जोर दिया। व्याख्यान के अंत में श्रोताओं ने प्रश्न पूछे।
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और पशुपालन मंत्री पंकजा मुंडे ने दर्शकों को एक वीडियो दिखाया जिसमें 'पर्यावरण बचाओ, पृथ्वी को सुंदर बनाओ' पहल में भाग लेने की अपील की गई। उन्होंने सभी से इस पहल के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने का संकल्प लेने की अपील की।
विश्व पर्यावरण दिवस 22 अप्रैल और महाराष्ट्र दिवस 1 मई के उपलक्ष्य में इस दौरान पूरे राज्य में पर्यावरण संरक्षण के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इस वर्ष का थीम 'हमारा ग्रह, हमारी पृथ्वी' है। यह व्याख्यान उसी के अनुरूप आयोजित किया गया था। प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए ठाणे नगर निगम और रोटरी क्लब ने शहर के गांवदेवी क्षेत्र में कपड़े के थैले बेचने वाली मशीनें उपलब्ध कराई हैं और नगर निगम ने नागरिकों से इनका उपयोग करने की अपील की है। कार्यक्रम में उपस्थित नागरिकों को कपड़े के थैले भी वितरित किये गये। कार्यक्रम का संचालन मकरंद जोशी ने किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / रवीन्द्र शर्मा