अभी शिक्षा, चिकित्सा तथा आर्थिक व सांस्कृतिक क्षेत्र में आजादी प्राप्त करनी है : स्वामी रामदेव

हरिद्वार, 26 जनवरी (हि.स.)। पतंजलि योगपीठ में 76वें गणतंत्र दिवस पर स्वामी रामदेव व आचार्य बालकृष्ण ने ध्वज फहराकर सभी देशवासियों को शुभकामनाएँ दीं।

इस अवसर पर स्वामी रामदेव ने कहा कि आज भारत राजनैतिक दृष्टि से तो आजाद है लेकिन आर्थिक, शिक्षा, चिकित्सा, सांस्कृतिक व सब प्रकार की कुंठाओं से आजादी अभी शेष है। पूरी दुनिया के 10 प्रतिशत लोगों के हाथों में पूरी दुनिया की 90 प्रतिशत दौलत है। हमें स्वदेशी का अभियान चलाकर कंज्यूमर नहीं क्रिएटर बनना है। उन्होंने ऑक्सफैम की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा भारत जो कभी सोने की चिड़िया कहलाता था उसको अंग्रेजों ने बेदर्दी से लूटा। इससे पहले 1000 वर्षों की लूट को यदि औसत रूप में भी देखें तो यह कम से कम 100 ट्रिलियन से ऊपर होगी। अंग्रेजों ने दमनकारी नीतियाँ बनाकर भारत के घरेलू उद्योग धंधों को बर्बाद कर दिया।

स्वामी जी ने कहा कि 1765 से 1900 के बीच लूटी गई 64.82 ट्रिलियन में से भारत से 33.8 ट्रिलियन डॉलर की सम्पत्ति ब्रिटेन के सबसे अमीर 10 प्रतिशत लोगों के पास गई। ऑक्सफैम का कहना है अंग्रेजों ने अफीम के नशे को मुनाफे के लिए प्रचारित किया। अंग्रेजों ने उद्योग धंधों को नष्ट करके बाजार पर कब्जा करके, बौद्धिक सम्पदा पर एकाधिकार करके, संसाधनों पर कब्जा कर भारत में भुखमरी, अकाल, सूखा व अपराध को बढ़ाया। दुनिया में आज भी असमानता व्याप्त है जिसके चलते वर्ल्ड बैंक में एक औसत बैल्जियन को इथोपियन की तुलना में 180 गुणा अधिक मतदान की शक्ति प्राप्त है।

आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि उपनिवेशवादी लूट व अत्याचार के लिए विभिन्न देशों द्वारा माफी मांगी गई व क्षतिपूर्ति किया गई। उदाहरण के रूप में बेल्जियम ने अपने अधीन रहने वाले कांगो, रवांडा और बुरुंडी आदि देशों से, जर्मनी ने नामिबिया में, इटली ने लीबिया में अपने औपनिवेशिक शासन के अन्याय पर सार्वजनिक माफी मांगी तथा क्षतिपूर्ति दी। उसी प्रकार हमें भी ब्रिटेन से देश की 5611 लाख करोड़ रुपए की लूट को वापस लेना चाहिए तथा आगे की लूट से देश को बचाना है।

स्वामी रामदेव व आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि गणतंत्र दिवस पर हमारा संकल्प है कि इस लूट के लिए हम हाऊस ऑफ कॉमन्स, ब्रिटेन से माफी मंगवाएँगे। हम भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनामी बनाने का संकल्प लेते हैं। देश के लगभग 150 करोड़ देशवासी जब सृजन में लगेंगे तो 5 ट्रिलियन ही नहीं, भारत 50 और फिर 500 ट्रिलियन इकॉनामी वाला देश बनेगा। इससे पहले वैधानिक व वैचारिक दबाव बनाकर लूट का धन वापस लेना है तथा भारत पर किए अत्याचारों के लिए अंग्रेजों से सार्वजनिक माफी मंगवाने के लिए राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाना है।

कार्यक्रम में पतंजलि गुरुकुलम्, आचार्यकुलम्, पतंजलि विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने देशभक्ति से ओतप्रेात प्रस्तुतियाँ दीं। पूरा वातावरण वन्दे मातरम् व भारत माता की जय के नारों से गुंजायमान हो उठा।

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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

   

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