मातृ मृत्यु मामले में रिंगर लैक्टेट सलाइन को क्लीन चिट

कोलकाता, 06 फ़रवरी (हि. स.)। राज्य सरकार ने मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज में हुई मातृ मृत्यु के मामले में सलाइन रिंगर लैक्टेट को क्लीन चिट दे दी है। कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगनम को सौंपी गई एक रिपोर्ट में, राज्य ने दावा किया है कि सलाइन में कोई खराबी नहीं थी और प्रयोगशाला परीक्षणों में भी कोई समस्या नहीं पाई गई।

घटना के समय, आठ और नौ जनवरी की रात, मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज में कोई वरिष्ठ प्राध्यापक या आरएमओ (रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर) मौजूद नहीं था, जिसके कारण सभी पांच सी-सेक्शनों की निगरानी मुश्किल हो गई थी। इस मामले की जांच सीआईडी कर रही है। राज्य के महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने बताया कि सलाइन में कोई समस्या न होने की पुष्टि की गई है, और प्रभावित परिवारों को नौकरियां और वित्तीय सहायता प्रदान की गई है।

मुख्य न्यायाधीश ने सलाइन बनाने वाली कंपनी से पूछा कि यह घटना कैसे घटी, जिस पर कंपनी ने उत्तर दिया कि सलाइन को केंद्रीय लैब में परीक्षण के बाद क्लीन चिट मिली है। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि क्या राज्य अपना सलाइन बनाना शुरू कर सकता है और इसके लिए कितना खर्च आएगा।

मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज में केशपुर की मामनी रुइदास की प्रसव के दौरान मौत हो गई, जिसके लिए उनका परिवार सलाइन सोल्यूशन को दोषी ठहरा रहा था। तीन अन्य गर्भवती महिलाओं को उनकी बिगड़ती हालत के कारण एसएसकेएम अस्पताल कोलकाता लाया गया था।

राज्य सरकार ने इस मामले की जांच शुरू की और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आदेश पर सीआईडी को जांच का जिम्मा दिया। रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि उस रात जिन वरिष्ठ डॉक्टरों को ड्यूटी पर होना चाहिए था, वे अनुपस्थित थे, और जूनियर डॉक्टर जिम्मेदारी संभाल रहे थे। इस कारण, राज्य ने 13 जूनियर और वरिष्ठ डॉक्टरों को निलंबित किया।

हिन्दुस्थान समाचार / धनंजय पाण्डेय

   

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