श्रृंखला संगीत नाटक साडा डुग्गर विरसा पर कार्यशाला का आयोजन किया गया

जम्मू 15 जनवरी (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर की समृद्ध पारंपरिक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए भारतीय लोक संगीत कला संस्थान ने गुरु.शिष्य परंपरा को बढ़ावा देने के लिए संस्कृति मंत्रालय नई दिल्ली के सहयोग से ओपन एयर थिएटर दुर्गा भवन जानीपुर जम्मू में बुधवार को श्रृंखला संगीत नाटक साडा डुग्गर विरसा पर कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि डॉ. तारा सिंह चरक, पूर्व उप निदेशक, जम्मू.कश्मीर स्वास्थ्य विभाग, मुकेश सिंह, प्रसिद्ध मीडिया व्यक्ति जम्मू.कश्मीर ने किया। राम दित्ता, बिश्वनाथ, एम.सी. कोतवाल, के.के. जोशी, कालो देवी ने जम्मू.कश्मीर के विभिन्न लोक रंगमंच विशेषज्ञों के रूप में भाग लिया। श्री जोशी ने बताया कि वह जम्मू.कश्मीर राज्य की समृद्ध संस्कृति को संरक्षित करने के लिए इतिहास गीत और नृत्य आदि में डुग्गर संस्कृति पर अपनी तरह की पहली कार्यशाला आयोजित करेंगे और यह भी कहा कि बीएलएसकेएस राज्य के सभी हिस्सों में ऐसे नाटकों का मंचन करता है ताकि रंगमंच नाटक के माध्यम से विभिन्न सामाजिक बुराइयों के बारे में जनता के बीच जागरूकता पैदा की जा सके जो अभी भी संचार का बहुत शक्तिशाली माध्यम हैं। इस अवसर पर मुख्य अतिथि ने भारतीय लोक संगीत कला संस्थान. की भूमिका की सराहना की और राज्य के सभी हिस्सों में ऐसे नाटकों और कार्यशालाओं के मंचन के महत्व को रेखांकित किया ताकि रंगमंच नाटक के माध्यम से विभिन्न सामाजिक बुराइयों के बारे में जनता के बीच जागरूकता पैदा की जा सके जो अभी भी संचार का बहुत शक्तिशाली माध्यम हैं।

जम्मू.कश्मीर स्वास्थ्य विभाग के पूर्व उप निदेशक श्री तारा सिंह चरक ने भी इस विषय पर बात की और कलाकारों, सांस्कृतिक संगठनों से देश की सांस्कृतिक विरासत के बारे में जागरूकता बढ़ाने में योगदान देने और युवा पीढ़ी को राष्ट्र की समग्र संस्कृति के संरक्षण में अपने बुजुर्गों के पदचिह्नों पर चलने के लिए प्रेरित करने का आग्रह किया। जम्मू, डोगराओं की भूमि जिसे डुग्गर भी कहा जाता है अपनी अनूठी संस्कृति के संदर्भ में विरासत में समृद्ध है जिसमें अनादि काल से विभिन्न घटक शामिल हैं। डुग्गर न केवल अपने लोगों की अतुलनीय बहादुरी, साहस और वीरता के लिए विश्व प्रसिद्ध है बल्कि लोककथाओं, अनुष्ठानों, रीति.रिवाजों, जीवन शैली, लोक कलाओं, लोक नृत्यों और लोक.साहित्य के रूप में उजागर होने वाले ऐतिहासिक और निर्बाध सांस्कृतिक प्रवाह के लिए भी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक मौखिक रूप से प्रसारित होता है। कार्यशाला में विभिन्न लोक समूहों के नेताओं ने भाग लिया तथा लोक रंगमंच के पांच विशेषज्ञों ने लोक रंगमंच पर टिप्स दिए। कार्यक्रम को लोगों के लाभ के लिए रिकॉर्ड करके सोशल मीडिया पर ऑनलाइन अपलोड भी किया गया।

गणमान्यों का स्वागत करते हुए बीएलएसकेएस के अध्यक्ष डॉ. एमएल डोगरा ने कार्यक्रम के उद्देश्यों की व्याख्या की जो समाज की बेहतरी के लिए संस्थान को सौंपे गए हैं। अपने मुख्य भाषण में उन्होंने नाटक के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला तथा कहा लोक साहित्य वह साहित्य है जिसका रचयिता अज्ञात होता है तथा जो मौखिक परंपराओं के माध्यम से पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ता है। इसकी शैली बनावटीपन तथा दिखावे से मुक्त होती है। इसमें सांप्रदायिकता या धार्मिक भेदभाव का कोई तत्व नहीं होता। इसका उद्देश्य केवल आम जनता का मनोरंजन करना होता है जो सामान्य रूप से सरलए अशिक्षित तथा सादगीपूर्ण जीवन जीते हैं।

वित्तीय वर्ष 2023.2024 के दौरानए बीएलएसकेएस ने 200 से अधिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए और जम्मू प्रांत के 10 से अधिक जिलों को कवर किया और 4 लाख से अधिक लोगों ने कार्यक्रम, नाटक देखा और दर्शकों द्वारा इसकी बहुत सराहना की गई। प्रदर्शन करने वाले गायक, संगीतकार और अभिनेता केके जोशी, राजू बजगल, चाहत चड्ढा, संजीव कुमार, सुदेश देवी, रेणुबाला, नैया डिगरा थे। इस कार्यशाला के समन्वयक मास्टर दीपक कुमार ने कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।

हिन्दुस्थान समाचार / मोनिका रानी

   

सम्बंधित खबर