मुकदमा लड़ने के लिए पैसे नहीं है, सहेजे हुए 20 लाख रुपये निकालने के लिए अदालत पहुंचे संदीप घोष

कोलकाता, 17 अक्टूबर (हि.स.)। आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। मुकदमा लड़ने के लिए वकील की फीस देने में भी उन्हें कठिनाई हो रही है। इसी कारण उन्होंने अपने बैंक खाते में जमा की गई स्थायी अमानत (फिक्स्ड डिपॉजिट) को तोड़कर खर्चे पूरे करने के लिए कोलकाता हाई कोर्ट में अपील की है। संदीप ने 20 लाख रुपये निकालने के लिए कई स्थायी जमा खातों को तोड़ने की अनुमति मांगी है। इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को न्यायमूर्ति विभास पटनायक की पीठ में होने की संभावना है।

संदीप के करीबी सूत्रों के अनुसार, उनके बच्चों की पढ़ाई और वकील की फीस चुकाने के लिए उन्हें पैसों की जरूरत है। एक सरकारी बैंक में संदीप के नाम से जमा राशि है, जिसे वे निकालना चाहते हैं। लेकिन जेल में बंद होने के कारण वे इस पैसे को निकालने में असमर्थ हैं। बैंक की तरफ से खातेधारक के हस्ताक्षर की मांग की जा रही है। जेल अधिकारियों ने संदीप से हस्ताक्षर करवाने की सहमति दी है, लेकिन बैंक ने उन हस्ताक्षरों की प्रमाणिकता पर सवाल उठाया है। इसी कारण से समस्या उत्पन्न हो गई है और संदीप को कोर्ट का सहारा लेना पड़ा है।

उल्लेखनीय है कि नौ अगस्त को आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज में एक डॉक्टर का शव बरामद हुआ था। डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या का आरोप लगा था। इस घटना के बाद जूनियर डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन के चलते संदीप को प्राचार्य पद से हटा दिया गया। आर.जी. कर अस्पताल में वित्तीय भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे, जिसकी जांच हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने शुरू की। सीबीआई ने संदीप को गिरफ्तार किया और बाद में आर.जी. कर अस्पताल में बलात्कार और हत्या के मामले में सबूत मिटाने के आरोप में भी उन्हें गिरफ्तार किया गया। वर्तमान में संदीप प्रेसिडेंसी जेल में बंद हैं और वहीं से उन्होंने अपने स्थायी जमा खाते को तोड़ने के लिए हाई कोर्ट में अपील की है।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर

   

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