संतों के संकल्प से सम्पूर्ण विश्व का मार्गदर्शन करेगा भारत : अनिल ओक

जो जिस भाषा में समझेगा उसे उसी भाषा में समझायेंगे : आरएसएस

महाकुम्भनगर, 20 जनवरी (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख अनिल ओक ने कहा कि पूज्य संतों के संकल्प व विचारों के आधार पर आने वाले समय में भारत सम्पूर्ण विश्व का मार्गदर्शन करेगा। जो जिस भाषा में समझेगा उसे उसी भाषा में समझायेंगे । दुनिया आज अंधेरी गली से निकल रही है। संत परम्परा को जानने के लिए विदेशों के लोग रिसर्च कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि संत की कोई जाति नहीं होती है। तन समर्पित मन समर्पित और यह जीवन समर्पित। इसके बाद और क्या यही वास्तव में संत को संत बनाता है। यही संत की विशेषता है। अनिल लोक सोमवार को सेक्टर 17 में आ​योजित संत समागम को संबोधित कर रहे थे।

अनिल ओक ने कहा कि सनातन का आधार अध्यात्म है। संत आध्यात्मिकता के वाहक होते हैं। संत स्वयं के आचरण एवं व्यवहार से आध्यात्मिक जीवन की सीख देते हैं। संत देश एवं समाज के लिए जीते हैं। शक्ति, ज्ञान एवं वैभव का नहीं रहता। देश एवं समाज कैसे सुरक्षित रहे और हमेशा दूसरों का भला चाहते हैं। गोस्वामी ​तुलसीदास ने लिखा है कि परहित सरिस धर्म नहीं भाई।

सह व्यवस्था प्रमुख ने कहा कि प्रत्यके व्यक्ति के अंदर ब्रह्म है। भगवान भाव के भूखे होते हैं। वह हमारे अंदर बैठा है। जितना भीतर जाओगे उतना तर जाओगे।

संत समागम को विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार,सामाजिक समरसता गतिविधि के संयोजक श्याम प्रसाद व विहिप के प्रवक्ता देवजी भाई रावत ने संबोधित किया।

इस अवसर पर विहिप के सह संगठन मंत्री विनायक राव देशपाण्डे, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक अनिल, सामाजिक समरसता ​गतिविधि के सह संयोजक रवीन्द्र किरकोले, संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य शिवनारायण, काशी प्रान्त के प्रान्त प्रचारक रमेश, सामाजिक समरसता गतिविधि के क्षेत्र संयोजक नरेन्द्र सिंह एवं सामाजिक समरसता गतिविधि अवध प्रान्त के प्रमुख राजकिशोर प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन

   

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