धर्मसभा में बोले विद्वान-दीपावली 31 अक्टूबर को ही शास्त्र सम्मत

जयपुर, 15 अक्टूबर (हि.स.)। अखिल भारतीय विद्वत् परिषद् की ओर से मंगलवार को केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर परिसर में आयोजित विद्वत् धर्मसभा में वयोवृद्ध ज्योतिषाचार्य प्रो. रामपाल शास्त्री की अध्यक्षता सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि संपूर्ण भारतवर्ष में दीपावली का महापर्व 31 अक्टूबर गुरुवार को मनाना शास्त्र सम्मत है। इसके अतिरिक्त किसी भी अन्य दिन दीपावली मनाना शास्त्रानुसार नहीं है।

विद्वानों ने एकमत से कहा कि हमें विश्वास है कि इस सर्वसम्मत निर्णय के बाद पूरे देश में किसी भी प्रकार के भ्रम और संशय की संभावना नहीं है। सभी सनातन धर्मियों के लिए 31 अक्टूबर, गुरुवार को प्रदोषकाल से मध्यरात्रि व्यापिनी कार्तिकी अमावस्या लक्ष्मीपूजन करना शास्त्र सम्मत होगा।

विद्वत् धर्मसभा में हवामहल विधायक बालमुकुंदाचार्य, महामण्डलेश्वर श्रीपद्मनाभशरणदेवाचार्य, महंत मनोहरदास महाराज पलसाना, प्रो. सुदेश शर्मा (निदेशक के.सं.वि.वि.), प्रो. विनोद शास्त्री (पूर्व कुलपति), प्रो. अर्कनाथ चौधरी (पूर्व कुलपति), प्रो. सतीशचन्द्र शास्त्री (ज्योतिषाचार्य), प्रो. भगवती सुदेश शर्मा (पूर्व निदेशक), प्रो. राकेशमोहन शर्मा (राज ज्योतिषी जयपुर), प्रो. गंगासहाय शर्मा (पूर्व प्राचार्य), प्रो. कौशलदत्त शर्मा (पूर्व प्राचार्य), प्रो. नागेन्द्र प्रतिहस्त (ज्योतिषाचार्य), प्रो. ईश्वर भट्ट (ज्योतिष विभागाध्यक्ष), प्रो. कृष्णा शर्मा (धर्मशास्त्र विभागाध्यक्ष) सहित सौ से अधिक विद्वान उपस्थिति रहे। विद्त धर्म सभा में समस्त विद्वानों, ज्योतिषाचार्यों, धर्माचार्यों पंचांगकर्ताओं ने दीपावली पर्व को लेकर धर्मशास्त्रों पर व्यापक विचार-विमर्श किया। समस्त पंचांग सम्मत तिथियों के सूक्ष्म अध्ययन के बाद सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया।

गोविंद देवजी जयपुर के राजा, उनका आदेश जनता के लिए शिरोधार्य: उल्लेखनीय है किजयपुर के आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर के महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में मार्च माह में सुभाष चौक पानों का दरीबा स्थित श्री सरस निकुंज में आयोति धर्म सभा में भी सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया था कि दीपावली 31 अक्टूबर को मनेगी। गोविंद देवजी मंदिर की ओर से दीपावली के साथ इस संवत् के अन्य पर्व और त्योंहारों का भी कैलेंडर भी जारी किया गया। मंगलवार को एक बार फिर इस निणर्य पर पुन: मोहर लग गई। शुक संप्रदाय पीठाधीश्वर अलबेली माधुरीशरण महाराज ने कहा कि दीपावली की तारीख को लेकर कोई विवाद था ही नहीं। जब गोविंद देवजी मंदिर से तारीख तय हो गई कि दीपावली 31 अक्टूबर को मनेगी तो हमें यह तो सोचना चाहिए कि जब गोविंद देवजी को राजा मानते हैं तो उनके आदेश को भी तो माने। यही नहीं सिटी पैलेस प्रशासन ने भी 31 अक्टूबर को दीपावली मनाने की घोषणा कर रखी। साढ़े तीन सौ साल पुराना नारायणजी के पंचांग में 31 अक्टूबर को दीपावली मनाने को लिखा है। जिस गढग़णेश मंदिर की देखरेख में जयपुर बसा उसके महंत प्रदीप औदीच्य 31 अक्टूबर को दीपावली शास्त्र सम्मत बता रहे है तो कोई संशय नहीं रह जाता।

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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश

   

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