हिसार : लुवास वैज्ञानिकों ने मलेशिया में सम्मेलन में विवि को दिलाया वैश्विक गौरव

लुवास के तीन वैज्ञानिक पहुंचे सम्मेलन में भाग लेनेहिसार, 10 अक्टूबर (हि.स.)। लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) के वैज्ञानिकों ने मलेशिया के पेनांग स्थित पार्करॉयल पेनांग में आयोजित चौथे एशिया पैसिफिक रिकेट्सियल सम्मेलन 2025 में सक्रिय भागीदारी कर विश्वविद्यालय का नाम अंतरराष्ट्रीय मंच पर गौरवपूर्वक स्थापित किया। इन वैज्ञानिकों में डॉ. बिस्वा रंजन महाराणा (वैज्ञानिक, एचपीवीके, करनाल), डॉ. स्नेहिल गुप्ता (सहायक प्रोफेसर, पशु परजीवी विज्ञान विभाग) तथा डॉ. सुरभि (सहायक प्रोफेसर, पशु शरीर क्रिया विज्ञान एवं जैव रसायन विभाग) शामिल है। यह सम्मेलन मलेशियन सोसायटी ऑफ पैरासिटोलॉजी एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के 61वें वार्षिक वैज्ञानिक सम्मेलन के साथ संयुक्त रूप से हाल ही में आयोजित किया गया। सम्मेलन का मुख्य विषय ‘रिकेट्सियल और उष्णकटिबंधीय रोगों का सामना: वैश्विक स्वास्थ्य के लिए एकीकृत रणनीतिया’ था। इसमें एशिया और प्रशांत क्षेत्र के विभिन्न देशों के प्रसिद्ध वैज्ञानिकों एवं शोधकर्ताओं ने भाग लिया।डॉ. स्नेहिल गुप्ता ने अपने शोध कार्य ‘बुपारवाक्वोन और एम्फोटेरिसिन बी की व्यक्तिगत एंटी-ट्रिपैनोसोमल प्रभावकारिता का अध्ययन: ट्रिपैनोसोमा एवांसी के विरुद्ध इन विट्रो एवं इन विवो अनुसंधान’ विषय पर मौखिक प्रस्तुति दी। इस शोध में उन्होंने इन दोनों औषधियों की परजीवीरोधी क्षमता का तुलनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत किया, जो पशुजन्य ट्रिपैनोसोमियासिस के नियंत्रण हेतु संभावित नई रणनीतियों के विकास में उपयोगी सिद्ध हो सकता है।डॉ. सुरभि ने ‘टिक (किलनी) के लार में प्लेटलेट एकत्रण रोधी कारकों के प्रमाण: गौ-प्लेटलेट्स पर स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी आधारित अध्ययन’ विषय पर अपना शोध प्रस्तुत किया। उनके अध्ययन में टिक के लार में उपस्थित जैव सक्रिय तत्वों के प्लेटलेट एकत्रण पर प्रभाव का सूक्ष्म परीक्षण किया गया, जिससे परजीवी संचरण की प्रक्रिया तथा टिक-जनित रोगों की रोगजनन क्रियाविधि को समझने में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है।लुवास वैज्ञानिकों की इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में सहभागिता विश्वविद्यालय के लिए अत्यंत गौरव का विषय रही। उनके उत्कृष्ट शोध कार्यों और प्रस्तुतियों ने न केवल पशु चिकित्सा, परजीवी विज्ञान एवं उष्णकटिबंधीय रोग अनुसंधान के क्षेत्र में लुवास की सक्रिय उपस्थिति दर्ज कराई, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं वन हेल्थ अनुसंधान के क्षेत्र में भी विश्वविद्यालय की वैश्विक पहचान को और अधिक सशक्त बनाया।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर

   

सम्बंधित खबर