बीबीएयू में जलवायु परिवर्तन की समस्या पर संगोष्ठी, पहुंचे साठ विश्वविद्यालयों के विद्वान

लखनऊ, 25 नवम्बर (हि.स.)। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में ‘ जलवायु लचीले समाज का निर्माण : मुद्दे और चुनौतियां’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी की शुरुआत सोमवार को हुई। दो दिन तक चलने वाली इस संगोष्ठी में देश विभिन्न प्रदेशों और विदेश के 60 विश्वविद्यालयों से विद्वान पहुंचे हैं, जिन्होंने जलवायु परिवर्तन की समस्या पर विचार-विमर्श शुरू किया।

इंडियन काउंसिल ऑफ़ सोशल साइंस रिसर्च द्वारा पोषित एवं अर्थशास्त्र विभाग, बीबीएयू द्वारा शुरू किये गये कार्यक्रम में विद्वानों ने जलवायु परिवर्तन पर गहन चर्चा शुरू की। कार्यक्रम समन्वयक डॉ. सुरेंद्र सिंह जाटव ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का स्वागत किया एवं सभी को कार्यक्रम की रूपरेखा एवं उद्देश्य से अवगत कराया। इस संगोष्ठी में राजस्थान, मप्र, दिल्ली, हरियाणा, यूपी, उत्तराखंड, तमिल, केरल, नाइजीरिया, साउथ अफ्रिका से विद्वान आये हुए हैं। यह संगोष्ठी मंगलवार तक चलेगी।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एन.एम.पी. वर्मा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन एक अंतर्राष्ट्रीय समस्या है, परंतु इसे सिर्फ वैश्विक स्तर पर न देखकर बल्कि निजी स्तर पर एक अहम मुद्दा मानते हुए कार्य करने की आवश्यकता है, क्योंकि प्रकृति हमारी माता के समान है और इसे संरक्षित करने का कार्य हम मनुष्यों का ही है।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रो. निजामुद्दीन खान ने बताया कि आज के समय में जलवायु परिवर्तन से भारत सहित पूरी दुनिया में बाढ़, सूखा, कृषि संकट एवं खाद्य सुरक्षा, बीमारियां, प्रवासन आदि का खतरा बढ़ा है। दूसरी ओर जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पादन में कमी, कृषि योग्य परिस्थितियों में कमी, तापमान अनियमितता और वर्षा के पैटर्न के बदलाव देखने को मिले हैं, जो कि एक गंभीर समस्या है।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो पी.के. घोष ने इंटरनेशनल सोलर अलायंस के बारे में बताते हुए कहा कि यह एक प्रकार का सहयोगात्मक कार्यक्रम है, जिसका मुख्य उद्देश्य सौर ऊर्जा तकनीकी को विकसित करना है जो मुख्यतः ऊर्जा पहुंच, ऊर्जा सुरक्षा एवं ऊर्जा स्थानांतरण पर आधारित है।

इंडियन काउंसिल ऑफ फाॅरेस्ट्री रिसर्च एंड एजुकेशन से डॉ. राजीव पाण्डेय ने जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार प्राकृतिक एवं सामाजिक कारकों के बारे में बताया। इन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण अव्यवस्थित मानव खाद्य शृंखला, पोषक तत्वों की कमी, 2030 तक किसानों का अत्यधिक गरीबी रेखा से नीचे आना, 40 प्रतिशत जनसंख्या के लिए पानी की कमी जैसे बदलाव देखने को मिलेंगे।

जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट, नोएडा के डॉ. अमरनाथ त्रिपाठी ने मौसम और तापमान में अनिश्चित बदलाव को जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण बताया। जलवायु परिवर्तन के कई समाधान हमें आर्थिक लाभ प्रदान करते हैं। हमें जागरूक होकर सतत विकास लक्ष्य, पेरिस समझौता एवं अन्य समझौतों को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण के हित में कार्य करना चाहिए।

हिन्दुस्थान समाचार / उपेन्द्र नाथ राय

   

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