25 जनवरी शनिवार को रखा जायेगा षट्तिला एकादशी व्रत

जम्मू, 22 जनवरी (हि.स.)। माघ महीना बहुत पवित्र माना जाता है,माघ मास लगते ही मनुष्य को स्नान आदि करके शुद्ध रहना चाहिए। इंद्रियों को वश में कर *काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या तथा द्वेष* आदि का त्याग कर भगवान का स्मरण करना चाहिए,प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियां होती हैं, परंतु जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है।

माघ माह में कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को षट्तिला एकादशी कहा जाता है। इस विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष के महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया पद्म पुराण में षट्तिला एकादशी का बहुत महात्मय बताया गया है। षटतिला एकादशी तिथि का आरंभ 24 जनवरी , शुक्रवार, शाम 07 बजकर 26 मिनट पर होगा और षटतिला एकादशी तिथि 25 जनवरी, शनिवार शाम 08 बजकर 32 पर समाप्त होगी। सूर्योदय व्यापिनी एकादशी तिथि 25 जनवरी शनिवार को है ऐसे में षटतिला एकादशी का व्रत 25 जनवरी शनिवार को रखा जाएगा। षटतिला एकादशी व्रत का पारण 26 जनवरी , रविवार, द्वादशी तिथि को प्रातः 07.11 से 09.20 तक कर सकते है।

षट्तिला एकादशी के दिन तिलों का छह प्रकार से उपयोग किया जाता है। जिसमें *जल में तिल डालकर स्नान करना, तिल का उबटन लगाना, तिल से हवन करना, तिल से तर्पण करना, तिल का भोजन करना और तिलों का दान करना* आदि इसी कारण यह षट्तिला एकादशी कही जाती है।

भगवान विष्णु ने नारद जी को एक सत्य घटना से अवगत कराया और नारदजी को एक षट्तिला एकादशी के व्रत का महत्व बताया, इस प्रकार सभी मनुष्यों को लालच का त्याग करना चाहिए,किसी प्रकार का लोभ नहीं करना चाहिए,षट्तिला एकादशी के दिन तिल के साथ अन्य अन्नादि का भी दान करना चाहिए, इससे मनुष्य का सौभाग्य बली होगा,कष्ट तथा दरिद्रता दूर होगी, विधिवत तरीके से व्रत रखने से स्वर्ग लोक की प्राप्ति होगी। अगर कोई भी व्यक्ति इस एकादशी का व्रत नहीं रहता है और मात्र कथा सुनता है तो उसे वाजपेय यज्ञ के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा

   

सम्बंधित खबर