श्रीमद्भागवत कथा : कृष्ण जन्म की बधाई और दर्शन को पधारे शंकर भगवान

प्रयागराज, 07 जुलाई (हि.स.)। श्रीब्रह्म निवास अलोपीबाग स्थित भगवान आदिशंकराचार्य मंदिर में नवनिर्मित भगवान रामलला के मंदिर परिसर में सोमवार को श्रीमद्भागवत कथा में कथा व्यास नंदन गोस्वामी ने कहा कि यशोदा के घर में भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव की बधाई देने वालों की अपार भीड़ में बधाई देने के लिये भगवान शंकर स्वयं बाबा (साधू) के रूप में बाघम्बर पहने भभूत लपेटे पहुंचे। बाबा रूपधारी भगवान शंकर ने नंद के महल पर पहुंचकर देखा कि बधाई देने और पाहुन पाने वालों की भारी भीड़ लगी हुई है।

श्रीमज्ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती के सानिध्य में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा में उन्होंने आगे कहा कि भगवान कृष्ण का दर्शन करने की इच्छा भगवान शंकर ने किया तो माता यशोदा ने उन्हें न पहचानने के कारण कृष्ण के पास जाने से मना कर दिया। उधर भगवान कृष्ण ने अन्तर्मन से सत्य जान लिया और बहुत तेज-तेज रोने लगे। रोने को नजर टोटका मानकर यशोदा ने महल के बाहर खड़े किसी जादू-मंतर वाले बाबा के पास कृष्ण भगवान को लेकर गयीं और उनसे झाड़-फूंक कराया तब भगवान कृष्ण हंसने खेलने लगे।

कथा व्यास ने पूतना प्रसंग की कहानी का भी बड़ा रोचक वर्णन करते हुए कहा कि कृष्ण को मार डालने की नीयत से पूतना सुन्दर नारी का भेष बनाकर महल के अन्दर तक चली गयी और पूछने पर यशोदा के बचपन की सहेली होना बताया। पूतना मौका मिलते ही बालरूप कृष्ण को लेकर आसमान में उड़ गयी और उन्हें अपना दूध पिलाने लगी। भगवान कृष्ण ने सारी स्थितियों को समझते हुये पूतना का दूध इस प्रकार पिया कि उसके स्तन पर लगा हुआ जहर भी बेअसर हो गया और पूतना को प्राणहीन कर दिया। अंत में यशोदा माता ने गौशाला में रहकर गोबर, गौमूत्र, हल्दी, चंदन आदि लगाकर उसका दुष्प्रभाव समाप्त किया।

इस अवसर पर शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने भारतीय विद्वानों के बीच होने वाली शास्त्रार्थ परम्परा का वर्णन करते हुये बताया कि पहले संस्कृत के विद्वानों में न्यायशास्त्र, धर्मशास्त्र और व्याकरण आदि के ज्ञान की परस्पर परीक्षा के लिये शास्त्रार्थ होता था। जिसमें सभी विद्वान एक-दूसरे के ज्ञान एवं बौद्धिक क्षमता को चुनौती देकर प्रसन्नतापूर्वक जीत-हार का फैसला करते थे।

ज्योतिष्पीठ प्रवक्ता ओंकारनाथ त्रिपाठी ने बताया कि मंगलवार एवं बुधवार को सायंकाल 3 से 7 बजे तक श्रीमद्भागवत कथा एवं आरती-पूजन होगा। 10 जुलाई को प्रातः 9 बजे से गुरूपूर्णिमा महोत्सव एवं पादुका पूजन का कार्यक्रम होगा। आज कार्यक्रम में प्रमुख रूप से दंडी स्वामी शंकरानंद महाराज, दंडी स्वामी विनोदानंद सरस्वती, दण्डी सन्यासी विश्वदेवानंद सरस्वती, पं0 शिवार्चन उपाध्याय, नितिन प्रांत संगठन मंत्री विहिप काशी प्रांत, अनिल कुमार पाण्डेय प्रान्त सहमंत्री विहिप, आचार्य मनीष तिवारी आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र

   

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