ममता सरकार ने दागी और सत्यापित अभ्यर्थियों को अलग नहीं किया ताकि पार्टी नेताओं को बचाया जा सके : भाजपा
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- Apr 04, 2025

कोलकाता, 04 अप्रैल (हि. स.)। राज्य के सरकारी स्कूलों में नियुक्तियों से जुड़ी बड़ी कार्रवाई के बाद अब राजनीति गरमा गई है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग की 2016 की चयन सूची से की गई 25 हजार 753 नियुक्तियों को रद्द किए जाने के बाद भाजपा ने ममता बनर्जी सरकार पर बड़ा हमला बोला है। भाजपा का आरोप है कि सरकार ने जानबूझकर दागी और योग्य अभ्यर्थियों के बीच अलगाव नहीं किया ताकि तृणमूल नेताओं को बचाया जा सके जिन्होंने पैसों के बदले नौकरी दिलाई थी।
केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री और बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने शुक्रवार को कहा कि अगर सरकार ने समय रहते सत्यापित और दागी अभ्यर्थियों को अलग किया होता, तो पूरी पैनल को रद्द नहीं करना पड़ता। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया क्योंकि इससे पार्टी के उन नेताओं की पोल खुल जाती जिन्होंने पैसे लेकर अयोग्य लोगों को नौकरी दिलाई।
उन्होंने कहा कि बार-बार सुझाव मिलने के बावजूद राज्य सरकार ने अलगाव की प्रक्रिया को टालते हुए कोर्ट को मजबूर किया कि वह पूरी चयन सूची को रद्द कर दे।
उल्लेखनीय है कि कलकत्ता हाई कोर्ट की विशेष खंडपीठ ने 2016 की चयन सूची से की गई सभी 25 हजार 753 नियुक्तियों को रद्द कर दिया था, यह कहते हुए कि सत्यापित और पैसे देकर नौकरी पाने वालों के बीच कोई स्पष्ट अलगाव नहीं किया गया।
राज्य सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने भी उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा, जिससे सरकार को बड़ा झटका लगा।
इस फैसले के बाद ममता बनर्जी ने मीडिया से बातचीत में खुद को निशाना बनाए जाने की बात कही थी। इसके जवाब में सुकांत मजूमदार ने कहा कि मुख्यमंत्री की भाषा और हावभाव से साफ दिख रहा था कि उन्हें जेल जाने का डर सता रहा है। उन्होंने मुझ पर, वामपंथी नेताओं पर और यहां तक कि सर्वोच्च न्यायालय पर भी आरोप लगाए, लेकिन अपनी पार्टी के उन लोगों को दोष नहीं दिया जिन्होंने पैसे लेकर नौकरियां दिलाई थीं।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर