शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को ठहराया शिक्षकों की नौकरी जाने के लिए जिम्मेदार, नवान्न मार्च की चेतावनी

कोलकाता, 07 मार्च (हि.स.)। पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने सोमवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की वजह से लगभग 26 हजार स्कूल कर्मचारियों की नौकरियां रद्द होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट द्वारा मांगी गई पात्र और अपात्र उम्मीदवारों की सूची बार-बार प्रस्तुत करने में विफल रही है।

विधानसभा परिसर के बाहर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार को कई अवसर मिलने के बावजूद वह सूची अदालत के समक्ष नहीं पेश कर सकी। उन्होंने बर्खास्त शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों से सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का आग्रह किया और आश्वासन दिया कि आवश्यकता पड़ने पर भाजपा विधायक उनके कानूनी खर्च वहन करेंगे।

अधिकारी ने चेतावनी दी कि राज्य सरकार के पास अब भी मौका है। 15 अप्रैल तक पात्र उम्मीदवारों की सूची सुप्रीम कोर्ट में जमा करें। यदि ऐसा नहीं हुआ तो 21 अप्रैल को हम एक लाख लोगों के साथ सचिवालय मार्च करेंगे। यह एक गैर-राजनीतिक जनांदोलन होगा। हम धरने पर बैठेंगे और जरूरत पड़ी तो इस सरकार को सत्ता से बाहर करने के लिए आंदोलन तेज करेंगे।

शुभेंदु अधिकारी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चुनौती दी कि वह स्वयं सुप्रीम कोर्ट में पात्र उम्मीदवारों की सूची पेश करें। उन्होंने कहा, अगर आप दावा करती हैं कि केवल योग्य उम्मीदवारों की भर्ती हुई थी, तो खुद सूची प्रस्तुत करें और अदालत को फैसला करने दें। यदि आप ऐसा नहीं कर सकतीं, तो 2.3 लाख अभ्यर्थियों को फिर से परीक्षा देनी पड़ेगी।

अधिकारी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) की स्वायत्तता को नष्ट कर दिया और उसे स्वतंत्र रूप से काम करने से रोका। उन्होंने कहा कि यदि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने हस्तक्षेप न किया होता तो कई योग्य उम्मीदवारों के साथ अन्याय होता।

उन्होंने कहा कि सीबीआई के प्रयासों से ही कई योग्य उम्मीदवारों की पहचान हो पाई है, वरना सामाजिक अशांति और बढ़ सकती थी।

उन्होंने यह भी कहा कि यदि राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली का पूर्व आदेश स्वीकार कर लिया होता, तो 19 हजार शिक्षक अपनी नौकरियों से हाथ नहीं धोते। अधिकारी ने ममता सरकार पर आरोप लगाया कि वह बेरोजगार शिक्षकों को मात्र 10 हजार रुपये मासिक वेतन पर 'सिविक टीचर' बनाने की योजना पर काम कर रही है, जबकि भाजपा 'न्याय और नौकरी बहाली' चाहती है।

उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी बंगाल की मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि तृणमूल कांग्रेस की नेता हैं। यदि वह वास्तव में मुख्यमंत्री होतीं तो सभी बर्खास्त शिक्षकों से मिलतीं, न कि कुछ चुनिंदा लोगों से।

इससे पहले दिन में अधिकारी के नेतृत्व में भाजपा विधायकों ने विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया। उन्होंने 'टीएमसी चोर' लिखे हुए पोस्टर लेकर नारेबाजी की। अधिकारी ने आरोप लगाया कि सरकार ने 26 हजार में से केवल सात हजार अभ्यर्थियों को ही मुख्यमंत्री से मुलाकात के लिए चुना और बाकी को दरकिनार कर दिया। उन्होंने दावा किया कि कई योग्य अभ्यर्थियों को बैठक स्थल पर प्रवेश भी नहीं दिया गया, जबकि कई प्रवेश कार्ड धारक तृणमूल कार्यकर्ता थे, जिन्होंने चुनावों में धांधली की थी।

इसी बीच राज्य सरकार ने कहा है कि वह नियुक्तियों को रद्द करने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करेगी।

लेकिन अधिकारी ने ममता बनर्जी से आग्रह किया कि वह स्वयं वकील के तौर पर अदालत में पेश हों और पात्रता सूची दाखिल करें। शुभेंदु ने कहा कि कोई तीन महीने की समयसीमा नहीं है। सरकार सुनवाई के दिन भी सूची दाखिल कर सकती है।

अंत में अधिकारी ने चेतावनी दी, यदि सरकार ने पात्रता सूची प्रस्तुत नहीं की, तो हम इस सरकार को सत्ता से हटाने के लिए आंदोलन तेज करेंगे। 2026 में यदि हम सत्ता में आए, तो एक माह के भीतर न्याय बहाल करेंगे।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर

   

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