कैंसर के लक्षण अस्पष्ट होते हैं : डॉ. शुभम जैन

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन सीजीपी मुरादाबाद और राजीव गांधी कैंसर संस्थान के सहयोग से कैंसर संगोष्ठी का आयोजन

मुरादाबाद, 05 जनवरी (हि.स.)। कैंसर के लक्षण अस्पष्ट होते हैं, इसीलिए इसका समय से डायग्नोसिस ओंकोलॉजिस्ट के लिए भी कठिन होता है। इस बीमारी में शीघ्र पहचान बहुत जरूरी है, क्योंकि उपचार के परिणाम स्टेज के अनुसार बदलते हैं। शुरूआती स्टेजों के मरीजों के ठीक होने की संभावना बेहतर होती है। हालांकि कैंसर डायग्नोसिस के लिए बायोप्सी जरूरी है, इसके लिए सही तकनीक का उपयोग बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके परिणाम पर उपचार के विकल्प और परिणाम निर्भर करते हैं। यह बातें इंडियन मेडिकल एसोसिएशन सीजीपी मुरादाबाद और राजीव गांधी कैंसर संस्थान नईदिल्ली के सहयोग से दो दिवसीय कैंसर संगोष्ठी के समापन पर रविवार काे बतौर मुख्य वक्ता के रूप में राजीव गांधी कैंसर संस्थान के सीनियर कंसल्टैंट एवं यूनिट हैड सर्जिकल ऑन्कोलॉजी डॉ. शुभम जैन ने कहीं।

रामुपर रोड स्थित क्लार्क इन होटल में आयोजित संगोष्ठी में आईएमए मुरादाबाद की सचिव डा. सुदीप कौर ने सबका स्वागत किया। आईएमए मुरादाबाद की अध्यक्ष डा. प्रीति गुप्ता ने सभी को नववर्ष की शुभकामनाएं दीं और आगामी वार्षिक सीएमई 23 फरवरी को आयोजित किए जाने की जानकारी दी और सभी मेम्बर से रजिस्ट्रेशन कराने की अपील की।

डॉ. शुभम जैन ने कैंसर के लक्षणों की पहचान, कैंसर की जांच-पड़ताल में आम गलतियों को कैसे दूर करें और इम्यूनोथेरैपी कैंसर उपचार का जादुई तरीका है विषयों पर गहन जानकारी दी। उन्होंने कहा कि लैंसेट ब्रैस्ट कैंसर कमीशन ने हाल ही में अनुमान लगाया था कि वैश्विक स्तर पर ब्रैस्ट कैंसर के मामले वर्ष 2020 के 2.3 मिलियन की तुलना में वर्ष 2040 तक 3 मिलियन तक पहुंच सकते हैं, वहीं डब्यूएचओ का अनुमान है कि वर्ष 2050 तक कैंसर के मामलों की संख्या 35 मिलियन हो सकती है। महिलाओं में ब्रैस्ट कैंसर सबसे आम कैंसर बना हुआ है। डब्यूएचओ के अनुसार वर्ष 2022 में ही ब्रैस्ट कैंसर के 1.41 मिलियन मामले प्रकाश में आए थे। युवाओं में कैंसर के बढ़ते मामलों के मद्देनजर विशेषज्ञ इस बीमारी से प्रभावी तरीके से लड़ने के लिए शीघ्र जांच-पड़ताल और उपचार की भूमिका को काफी महत्वपूर्ण मानते हैं।

राजीव गांधी कैंसर संस्थान के कंसल्टैंट मेडिकल ऑन्कोलॉजी आरजीसीआईआरसी डॉ. कपिल गोयल ने बताया कि कैंसर के उपचार के लिए इम्यूनोथेरैपी हमारा नया हथियार बन चुकी है। परंपरागत साइटोटोक्सिक कीमोथेरेपी की तुलना में इसमें कीमोथेरपी के आम दुष्प्रभाव नहीं दिखते।आईएमए सीजीपी की सहायक निदेशक डॉ शाजिया मोनिस ने आभार जताया। बैठक का संचालन आईएमए सीजीपी सहायक सचिव डॉ एरम परवीन ने किया।

हिन्दुस्थान समाचार / निमित कुमार जायसवाल

   

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