पश्चिम बंगाल सरकार के शिक्षा ढांचे पर टीचर्स एसोसिएशन की आलोचना
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- Jan 06, 2025
कोलकाता, 06 जनवरी (हि. स.)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा प्राथमिक स्कूलों में सेमेस्टर प्रणाली लागू करने के प्रस्ताव को अस्वीकार करने के बाद, राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने इस योजना को रद्द कर दिया। इसके बावजूद, पश्चिम बंगाल प्राइमरी ट्रेनड टीचर्स एसोसिएशन (डब्ल्यूबीपीटीटीए) ने सरकार की शिक्षा नीति को लेकर अनियोजित दृष्टिकोण की कड़ी आलोचना की है।
एसोसिएशन का कहना है कि सेमेस्टर प्रणाली जैसे प्रयोगों के बजाय, सरकार को राज्य संचालित और सहायता प्राप्त प्राथमिक स्कूलों में बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिए एक समग्र रणनीति पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
डब्ल्यूबीपीटीटीए के अध्यक्ष पिंटू परुई ने सवाल उठाया कि मुख्यमंत्री को इस प्रस्ताव की जानकारी कैसे नहीं थी, जबकि राज्य प्राथमिक परिषद ने इसे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सार्वजनिक रूप से घोषित किया था।
परुई, जो भाजपा शिक्षकों के प्रकोष्ठ के सह-संयोजक भी हैं, ने ब्रत्य बसु की आलोचना करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा सार्वजनिक रूप से शिक्षा मंत्री को फटकारने के बाद यह स्पष्ट हो गया कि स्कूल शिक्षा विभाग को चलाने में कोई योजना नहीं है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि राज्य संचालित और सहायता प्राप्त प्राथमिक स्कूल गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं, जिससे छात्रों और कर्मचारियों के लिए चॉक, डस्टर और उपस्थिति रजिस्टर जैसी बुनियादी सामग्रियों की खरीद भी मुश्किल हो गई है।
उन्होंने कहा कि छात्रों के लाभ के लिए इन समस्याओं का समाधान करने और बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए कोई दृष्टिकोण या रोडमैप नहीं है। प्राथमिक शिक्षा प्रणाली के प्रबंधन के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की तत्काल आवश्यकता है।
गुरुवार को राज्य सचिवालय में मंत्रियों और शीर्ष अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए, ममता बनर्जी ने कहा कि प्राथमिक स्कूलों में सेमेस्टर प्रणाली लागू नहीं की जाएगी।
उन्होंने कहा कि यह (सेमेस्टर प्रणाली) यहां लागू नहीं होगी। मैं बच्चों, खासकर उन प्राथमिक छात्रों पर अनावश्यक दबाव नहीं डालना चाहती, जो अभी सही से संवाद करना सीख रहे हैं। मौजूदा प्रणाली जारी रहेगी।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने शिक्षा मंत्री बसु की आलोचना करते हुए कहा कि ऐसे नीतिगत फैसले लेने से पहले उनसे परामर्श क्यों नहीं किया गया। उन्होंने सवाल किया कि यह प्रस्ताव मीडिया तक कैसे पहुंचा ? चार सलाहकारों ने इसे तय किया और प्रस्तुत कर दिया।
जवाब में, बसु ने कहा कि प्राथमिक शिक्षा बोर्ड ने यह प्रस्ताव शिक्षा विभाग को भेजा था, जिसने इसे समीक्षा के लिए मुख्य सचिव के पास भेजा। उन्होंने कहा कि यह एक नीतिगत मामला था, इसलिए मुख्यमंत्री की सहमति आवश्यक थी। चूंकि मुख्यमंत्री ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है, इसलिए यह मामला अब बंद हो गया है।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर