आधुनिक कक्षाओं में नवाचारपूर्ण दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता

— ‘एम्पावरिंग एजुकेटर्स इन द ग्लोबल साउथ’ विषयक कार्यक्रम में शिक्षकों ने अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा किए

वाराणसी,22 मार्च (हि.स.)। ‘एम्पावरिंग एजुकेटर्स इन द ग्लोबल साउथ’ विषयक आठ दिवसीय कार्यक्रम के छठे दिन शनिवार को कुल चार सत्रों का आयोजन किया गया, जिनमें मुख्य रूप से सामाजिक-भावनात्मक अधिगम (एसईएल) में भावनात्मक विनियमन और भूमिका निभाने के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई। यह कार्यक्रम सुंदरपुर नरिया स्थित अंतर विश्वविद्यालय अध्यापक शिक्षा केंद्र (आईयूसीटीई) परिसर में आयोजित किया गया, जिसमें यूनेस्को एमजीआईईपी, नई दिल्ली और विदेश मंत्रालय के भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम ने सहयोग प्रदान किया।

कार्यक्रम के छठे दिन के सत्रों में खेल-आधारित शिक्षण, सहपाठी संवाद और भूमिका निभाने की प्रक्रिया के माध्यम से सामाजिक-भावनात्मक कौशल को विकसित करने के महत्व पर विशेष जोर दिया गया। पहले सत्र में चर्चा की गई कि खेल-आधारित विधियां रचनात्मकता, समस्या-समाधान क्षमताओं और मानसिक लचीलापन को कैसे बढ़ावा देती हैं। दूसरे सत्र में सहपाठियों के बीच संवाद और सहयोगी अधिगम में प्रभावी प्रतिक्रिया की भूमिका पर केंद्रित चर्चा हुई, जिसमें यह बताया गया कि यह कैसे एक सकारात्मक शिक्षण वातावरण बनाने में मदद करता है। अंतिम सत्रों में भूमिका निभाने को एक शक्तिशाली सामाजिक-भावनात्मक शिक्षण उपकरण के रूप में प्रस्तुत किया गया।

कार्यक्रम में भाग ले रहे शिक्षकों ने अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा किए और इस बात पर जोर दिया कि आधुनिक कक्षाओं में नवाचारपूर्ण दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। सभी सत्र व्यावहारिक गतिविधियों और प्रयोगात्मक शिक्षण पर आधारित थे, जिससे शिक्षकों को इन विधियों को अपनी कक्षाओं में लागू करने के लिए प्रेरित किया गया।

इस कार्यक्रम में 19 देशों के 60 शिक्षक भाग ले रहे हैं। वक्ताओं के रूप में अन्या चक्रवर्ती, भव्या, श्रेया तिवारी और रेणुका रौतेला ने प्रतिभागियों के साथ अपनी विशेषज्ञता साझा की। कार्यक्रम का समन्वय आईयूसीटीई के कार्यक्रम निदेशक प्रो. आशीष श्रीवास्तव और यूनेस्को एमजीआईईपी, नई दिल्ली की राष्ट्रीय परियोजना अधिकारी अर्चना चौधरी ने किया।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

   

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