ठाणे- बोरीवली टनल का रास्ता साफ

मुंबई, 18 मार्च (हि,सं.)। ठाणे और बोरीवली के बीच दोहरी भूमिगत सुरंग के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। बांबे हाईकोर्ट ने उस जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया है, जिसमें दोहरी भूमिगत सुरंग के निर्माण के लिए मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) को फर्जी विदेशी बैंक गारंटी देकर धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया गया था।

मुख्य न्यायाधीश आलोक आराधे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ ने वरिष्ठ पत्रकार रवि प्रकाश की जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। रवि ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि एमईआईएल ने ठाणे और बोरीवली के बीच दोहरी भूमिगत सुरंग के निर्माण के लिए एक विदेशी बैंक से फर्जी गारंटी पत्र उपलब्ध कराकर एमएमआरडीए को धोखा दिया है। उन्होंने इस धोखाधड़ी की सीबीआई या विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने की मांग की थी। परियोजना का काम कर रही मेघा इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड कंपनी ने हस्तक्षेप याचिका दायर कर इस याचिका का विरोध किया था। कंपनी ने लगाए गए आरोपों से इनकार करते हुए दावा किया था कि रवि की याचिका पर विचार करने जैसा कुछ भी नहीं है। इसके अलावा कंपनी ने याचिकाकर्ता के जनहित याचिका दायर करने के अधिकार पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया था कि उसने कुछ तथ्य छुपाए हैं। कंपनी ने याचिका को खारिज करने की मांग की थी। अदालत ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया कि याचिका पर विचार करना है या नहीं।

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि जनहित याचिका में यह प्रश्न उठाया गया है कि क्या कंपनी के साथ अनुचित व्यवहार किया गया है, जिसमें निविदा प्रक्रिया से संबंधित वैध मुद्दा भी शामिल है। भूषण ने चुनावी बांड की खरीद में प्रमुख राजनीतिक दलों के साथ कंपनी के कथित हितों की ओर भी अदालत का ध्यान खींचने करने का प्रयास किया। कंपनी ने सभी राजनीतिक दलों के चुनाव बांड खरीदे थे।

कंपनी ने दावा किया कि उसके खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे हैं। इसी प्रकार, रवि से संबंधित कानूनी विवादों के साक्ष्य भी उपलब्ध कराए गए। इसमें 2019 में हैदराबाद में राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष रवि द्वारा दायर एक आवेदन भी शामिल है। रवि ने कंपनी की सहायक कंपनी एबीसी कंपनी से उन्हें निकाले जाने के फैसले को चुनौती दी थी। जून 2022 में न्यायाधिकरण ने रवि के आवेदन को खारिज कर दिया और उन पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। चेन्नई स्थित राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण ने इस निर्णय पर रोक लगा दी। हालांकि, कंपनी ने दावा किया कि रवि ने जनहित याचिका में इस मामले को छुपाया है। केंद्र सरकार की ओर से बहस करते हुए अटॉर्नी जनरल तुषार मेहता ने कंपनी की स्थिति का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि रवि ने व्यक्तिगत विवाद के कारण याचिका दायर की है।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / वी कुमार

   

सम्बंधित खबर