परिवार के बिना मनुष्य का कोई परिचय नहीं: मुकुल कानिटकर
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- Nov 18, 2025
—तीन दिवसीय 'काशी शब्दोत्सव' के समापन सत्र में प्रतिभागियों ने प्रश्न पूछे
वाराणसी, 18 नवम्बर (हि.स.)। विवेकानंद इंटरनेशनल फ़ाउंडेशन के संस्थापक सचिव मुकुल कानिटकर ने मंगलवार को कहा कि परिवार के बिना मनुष्य का कोई परिचय नहीं। क्योंकि व्यक्ति की पहचान, संस्कार और सामाजिक मूल्य सबसे पहले कुटुम्ब से ही आकार लेते हैं। डिजिटल युग का उल्लेख कर उन्होंने कहा कि तकनीक भले ही दूरियाँ बढ़ाती हो, पर सही उपयोग किए जाने पर वही तकनीक परिवारों को जोड़ने का साधन भी बन सकती है।
मुकुल कानिटकर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू)के स्वतंत्रता भवन सभागार में आयोजित तीन दिवसीय 'काशी शब्दोत्सव' के समापन समारोह में बतौर मुख्य वक्ता उपस्थित लोगों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने परिवारों में बने व्हाट्सऐप समूहों को इसका प्रतीक बताते हुए कहा कि बदलते समय में यही डिजिटल संवाद परिवार की एकता और निरंतरता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने “फ़ादरलेस अमेरिका” का उदाहरण देते हुए पश्चिमी देशों में पारिवारिक विघटन के दुष्परिणामों को भी बताया। उन्होंने कहा कि पूरी मानवता को दिशा देने का सामर्थ्य यदि किसी सभ्यता में है, तो वह भारत है। क्योंकि भारत का मूल आधार ही कुटुम्ब व्यवस्था है—एक ऐसी व्यवस्था जो मिलकर रहने, बांटकर चलने और एक-दूसरे को सम्बल देने की सीख देती है।
बीएचयू मालवीय अध्ययन केन्द्र के निदेशक डॉ प्रेम नारायण सिंह, गांधी कुटुम्ब प्रबोधन ,दिल्ली की सदस्य एवं शिक्षाविद प्रो. नमिता गांधी
ने भी विचार रखा। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए हनुमन्त निवास के पीठाधीश्वर आचार्य मिथिलेशनंदनी शरण ने कहा कि जहां तक पृथ्वी का विस्तार है वह हमारा कुटुम्ब है। उन्होंने चरित्र निर्माण में कुटुम्ब की अहम भूमिका को भी बताया । उन्होंने कहा कि बल के होने के बावजूद जो हमें अनैतिक कार्यों या व्यवहारों से रोक लेती है वह है कुटुम्ब। यह सत्र संवादात्मक सत्र के रूप में आयोजित किया गया, जिसमें प्रतिभागियों ने प्रश्न पूछे जिसका उत्तर विशेषज्ञों ने दिया। इस सत्र का संचालन डॉ. हरेंद्र कुमार राय ने किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी



