जयपुर, 27 अक्टूबर (हि.स.)। इस बार दीपोत्सव छह दिन मनाया जाएगा। क्योकि कार्तिक मास की अमावस्या दो दिन रहेगी। जिसके कारण दीपोत्सव पांच की जगह छह दिन का रहेगा। इस बार कार्तिक मास की अमावस्या 31 अक्टूबर और 1 नवंबर दो दिन रहेगी।
ज्योतिषाचार्य पंडित बनवारी लाल शर्मा अनुसार इस वर्ष कार्तिक अमावस्या 31 अक्टूबर की दोपहर करीब 3 बजे से शुरु होगी और अगले दिन 1 नवंबर को शाम करीब 4 बजकर 40 मिनट पर समाप्त होगी। पुराणों के अनुसार कार्तिक अमावस्या की रात में लक्ष्मी पूजा करने की परंपरा है। इसलिए 31 अक्टूबर की रात को लक्ष्मी पूजन करना चाहिए। 31 अक्टूबर की रात को अमावस्या तिथि रहेगी और 1 नवंबर की रात को कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि रहेगी।
मंगलवार 29 अक्टूबर को मनाई जाएगी धनतेरस
दीपोत्सव की शुरुआत मंगलवार 29 अक्टूबर से होगी। इस दिन धनतेरस मनाई जाएगी। धनतेरस पर भगवान धनवंतरि जयंती मनाई जाती है। इस दिन यमराज के लिए दीपक जलाया जाता है और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
बुधवार को रुप चौदस
बुधवार 30 अक्टूबर को रुप चौदस मनाई जाएगी। इसे नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन उबटन लगाने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि इस तिथि भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नाम के दैत्य का वध किया था। इसलिए इस तिथि को नरक चतुर्दशी कहते है।
31 अक्टूबर गुरुवार दीपावली
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था और मंथन से कार्तिक मास की अमावस्या पर देवी लक्ष्मी प्रकट हुइ्र । देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु का वरण किया और इसके अलावा भगवान श्रीराम 14 वर्ष का वनवास पूरा किया और रावण का वध करके अयोध्या लौटे । तक अयोध्या के लोगों ने भगवान श्रीराम के स्वागत के लिए जलाए । इसलिए कार्तिक अमावस्या को दीपोत्सव के नाम से जाना जाता है।1 नवंबर शुक्रवार कार्तिक अमावस्या
1 नवंबर को करीब 4 बजकर 40 मिनट तक कार्तिक मास की अमावस्या रहेगी। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान- पुण्य करना चाहिए । दोपहर में पितरों के लिए धूप-दीप कर उनका स्मरर्ण करना चाहिए। शुक्रवार शाम को अमावस्या तिथि का समापन होगा।
2 नवंवर शनिवार को को होगी गोवर्धन पूजा
कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा पर्व मनाया जाएगा। इस दिन मथुरा स्थित गोवर्धन पर्वत की पूरा करने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने ब्रज के लोगों गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए कहा था। तब से ही गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। इस दिन सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालु यहां पूजा -अर्चना करने पहुंचते है।
3 नवंबर को भाई दूज
3 नवंबर रविवार को भाई दूज मनाई जाएगी। ये पर्व यमुना और यमराज से संबंधित है। ऐसा माना जाता है कि इस तिथि पर यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने के लिए जाते है । यमुना यमराज को भोजन कराती है । पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस तिथि पर जो भाई अपनी बहन के घर भोजन करता है यमराज और यमुना की कृपा से उनकी सीाी परेशानियां दूर होती है और भाग्य वृद्धि होती है।
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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश